मोदी कुछ पीछे हटे

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22 को मुख्य यजमान मोदी ही होंगे
भोग और आरती मोदी ही करेंगे

अब सिर्फ चार दिन बाद अयोध्या में भगवान श्री राम प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव की पूर्णाहुति हो जाएगी।अनेकानेक विवादों के बीच समारोह की प्रक्रिया शुरू हुए आज तीन दिन हो चुके हैं। अयोध्या में भगवान श्री राम प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव में पीएम मोदी द्वारा प्रधान पूजा को लेकर देश भर उठे विवाद और संतों में बढ़ते आक्रोश को देखते हुए उन्होंने कुछ पैर पीछे कर लिए। अब वे प्रधान पूजा नहीं करेंगे लेकिन 22 जनवरी को सभी कार्यों के यजमान वे ही होंगे। इससे पहले के सभी कार्य डॉ अनिल मिश्रा निभा रहे हैं। पीएम दो कदम पीछे हटे क्योंकि एक तो सपत्नीक वे बैठ नहीं सकते चूंकि उनके अकेले बैठने पर देश के प्रकांड विद्वानों, संतों, राजनीतिज्ञों और आम जनमानस में घोर विरोध हो रहा था जिसका आगे चल कर उन्हें इसका नुकसान हो सकता था फलतः उन्होंने अपना यह फैसला थोडा बदल लिया। अब मोदी जी की जगह राम मंदिर के ट्रस्टी अनिल मिश्रा सपत्नीक मुख्य यजमान हैं। प्राण प्रतिष्ठा का मुहूर्त निकालने वाले पंडित गणेश्वर शास्त्री तथा पंडित लक्ष्मीकांत दीक्षित और रामानन्द सम्प्रदाय के श्रीमत ट्रस्ट के महामंत्री रामविनय दास जी के अनुसार ट्रस्टी अनिल मिश्रा सपत्नीक मुख्य यजमान हैं और पीएम मोदी प्रतीकात्मक यजमान के रूप में मौजूद रहेंगे। ( यह समाचार एक मात्र दैनिक नवज्योति में 17 जनवरी के अंक में प्रकाशित हुआ है। ) अनिल मिश्रा ने सपत्नीक संकल्प, प्रायश्चित और गणेश पूजा कर सात दिवसीय अनुष्ठान की यजमानी शुरू कर दी है। चूंकि अनुष्ठान के मुख्य यजमान गृहस्थ ही हो सकते हैं इसीलिए यह निर्णय लिया गया। ( यही बात मैने अपने 10 जनवरी के ब्लॉग में वजह की व्याख्या करते हुए लिख दी थी कि एक गृहस्थ ही यजमानी करे तो श्रेष्ठ है। ) पीएम मोदी अपने हाथ से गर्भ गृह में कुशा और श्लाका खींचेंगे। यहां मिश्रा दम्पति मोदी के प्रतिनिधि के तौर पर 60 घंटे का शास्त्रीय मंत्रोच्चारण सुनेंगे लेकिन 22 जनवरी को पीएम मोदी ही मुख्य यजमान होंगे और वे ही भगवान् को भोग अर्पित करेंगे तथा आरती भी उतारेंगे।
डॉ अनिल मिश्रा राम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य हैं। वे पिछले 40 साल से अयोध्या में होम्योपैथिक क्लिनिक चला रहे हैं।उन्होंने 1981 में बैचलर ऑफ होम्योपैथिक मेडिसिन एंड सर्जरी में डिग्री प्राप्त की थी। वे यूपी होम्योपैथिक बोर्ड के रजिस्ट्रार थे और गोंडा के हौमयोपैथी अधिकारी पद से रिटायर हुए। संघ के सक्रिय सदस्य रहते हुए इन्होंने आपातकाल का घोर विरोध किया था। इन्होंने अयोध्या राम मंदिर आंदोलन में भी सक्रिय भूमिका निभाई थी। राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह के मुख्य यजमान होने के नाते डॉ मिश्रा ने दो दिन पहले सरयू नदी में डुबकी लगाई और फिर यज्ञ शुरू करने से पहले पंचामृत लिया इसके बाद सपत्नीक हवन में बैठे। ज्ञात रहे कि यहां मंदिर में 121 पुजारी अनुषठान कर रहे हैं और यह पूरा कार्य वैदिक विद्वान गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ की देख-रेख में हो रहा है।
ज्ञात रहे कि अविमुक्तेश्वरानंद ने भी यही कहा था कि शास्त्रों के विधान के अनुसार मोदी मुख्य यजमान नहीं हो सकते। बस हो गया एक विवाद खत्म। वैसे यहां यह कहना जरूरी है कि अविमुक्तेश्वरानंद सिद्धांततः बिलकुल सही हैं जबकि दूसरे जिन संतों ने सत्ता की हां में हां मिलाई वे कहने को संत हो सकते हैं लेकिन शास्त्र सम्मत संत नहीं क्योंकि जो शास्त्रों के नियमों से विमुख होकर किसी की हां में हां मिलाए, वह संत नहीं हो सकता।

यदि सिद्धांतों पर अडिग संत समाज यह न कहता कि मोदी का प्रथम पूजा करना शास्त्र सम्मत नहीं है तो संभवतः मोदी ही प्रधान पूजा करते। यह भी सच है कि सत्ता की मलाई खाने वाले कई संतों ने मोदी द्वारा पूजा किया जाना स्वीकार कर लिया था जो कि गलत है। यह अच्छा हुआ कि मोदी जी ने शास्त्र सम्मत बात का मान रखा जिससे हां में हां मिलाने वाले संत बेनकाब हो गए।
अब दूसरी बात। संत अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा कि इस धार्मिक अनुष्ठान का राजनीतिकरण ठीक नहीं। यह सौ फीसदी सच है कि इस प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव की आड लेकर आने वाले लोकसभा चुनावों के लिए ही जाल बिछाया गया है। यह देश के सभी राजनीतिज्ञ भी जानते हैं और आम जनता भी।

यहां कुछ विवाद और हैं कि देश के चारों शंकराचार्य पौष मास में इस कार्यक्रम को श्रेष्ठ नहीं मानते। उनके अनुसार इस माह में कोई मुहूर्त भी नहीं होता लेकिन दूसरी तरफ पंडित गणेश शास्त्री, लक्ष्मीकांत दीक्षित और रामानन्द सम्प्रदाय के रामविनय दास जी ने प्राण प्रतिष्ठा का मुहूर्त भी निकाल लिया वह कैसे ॽ उन्होंने किस आधार पर मुहूर्त निकाला। इसके अलावा इन संतों का कहना है कि अधूरे मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा नहीं होती। शास्त्रों के नजरिये से यह सही फरमा रहे हैं। फिलहाल स्थिति यह है कि 22 जनवरी को जब तक यह काम नहीं हो जाता तब तक ऐसे कई और किन्तु-परन्तु उठते रहेंगे लेकिन यह भी तय है कि यह काम 22 जनवरी को होकर रहेगा और अब इसे कोई रोक नहीं सकता।

(This article popular in social media is by Ashok Sharma )

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