सहकारिता राज्य मंत्री गौतम कुमार दक द्वारा माह अक्टूबर में की गई सहकारी अधिनियम की धारा-55 और 57 के तहत समीक्षा के दौरान लम्बे समय से पेंडिंग चल रही जांचों को निर्धारित समय सीमा में पूर्ण करने के निर्देश दिये थे। लेकिन विभाग में मंत्री की समीक्षा असर नहीं के बराबर हुआ है। यह जानकारी शुक्रवार को रजिस्ट्रार, सहकारिता श्रीमती मंजू राजपाल द्वारा सहकार भवन स्थित कमेटी रूम से रिव्यू करने के बाद सामने आई है। रजिस्ट्रार के अनुसार अक्टूबर माह में धारा-55 के 242 प्रकरण लंबित थे, जिनमें से केवल 67 प्रकरणों में जांच पूरी कर जांच परिणाम जारी किये हैं। इसी प्रकार धारा-57(1) के 318 प्रकरणों में से अब तक 91 प्रकरणों में जांच पूरी की गई है वहीं धारा-57(2) के 232 प्रकरणों में से मात्र 89 प्रकरणों में सरचार्ज निर्धारित किया गया है।
ये बात अलग है कि सहकारिता रजिस्ट्रार ने एक माह की अवधि में जिन अधिकारियों ने कोई जांच रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं की है या जांच परिणाम जारी नहीं हुए हैं उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी कर दिये हैं। लेकिन इससे यह स्पष्ट होता है कि विभाग में राज्य मंत्री की कार्यशैली को कितना वजन दिया जाता है। अब देखना यह है कि जनहित में मंत्री महोदय क्या एक्शन लेते हैं।