सरकारें देश की हो या फिर प्रदेश की ये सभी सरकारें आमजन को विश्वास में लेने और खुश करने के लिये रेवड़ियां बांटती है। लेकिन सरकार का ध्यान बेरोजगार युवाओं की ओर नहीं जाता। सरकार मुफ्त राशन, भोजन और सब्सिडी की व्यवस्था कर सकती है तो फीस में छूट से परहेज क्यों?
बेरोजगार युवाओं की समस्या को समझने का भाव रखने वाले पत्रकार महेश झालानी ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को एक पत्र के माध्यम से सुझााव दिया है। पत्र में मुख्यमंत्री का ध्यान आकर्षित किया कि कोई भी निगम, बोर्ड, आयोग और राज्य सरकार का कोई भी विभाग बेरोजगार युवाओं से प्रतियोगिता शुल्क के नाम पर किसी भी प्रकार की धनराशि न ले। यानी सभी प्रतियोगी परीक्षाएं निःशुल्क होनी चाहिए। श्री झालानी ने कहा कि जो युवा पहले से ही बेरोजगार है वह प्रतियोगी परीक्षा की फीस के लिए पैसे कहां से लाएगा? जब उनके पास आय का कोई साधन नहीं है तो फीस का इंतजाम कैसे होगा? कई बार कई प्रतिभाशाली युवा फीस के अभाव में परीक्षा से वंचित रह जाते हैं। नतीजा यह होता है कि योग्य होने के बावजूद उन्हें नौकरी नहीं मिल पाती है। परिवार वालों के पूछने पर रोजाना परेशानी होती है और इस कारण कई युवा आत्महत्या करने को मजबूर हो जाते हैं। उन्होने कहा जब सरकार मुफ्त राशन, भोजन और सब्सिडी की व्यवस्था कर सकती है तो फीस में छूट से परहेज क्यों? श्री झालानी ने मुख्यमंत्री से आशा व्यक्त करते हुए कहा कि आप मेरे उपरोक्त सुझाव पर अवश्य विचार करेंगे और इसे तत्काल लागू करने की घोषणा करेंगे। इससे सरकार की वाहवाही तो होगी ही, इसके अलावा लाखों बेरोजगारों को भी फायदा होगा।
यहां मेरा भी व्यक्तिगत विचार है कि यदि सरकार उपरोक्त विषय पर गहनता से विचार कर घोषण करती है तो निश्चित रूप से सरकार का बहुत बड़ा कदम होगा। और राजस्थान देश का पहला वो राज्य होगा जिसने बेरोजगार युवाओं के लिये इतनी बड़ी घोषण की।