सरकार मीटिंग बुला कर समस्यायों पर करें चर्चा —एल.पी.जी वितरक संघ

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गैस की प्रस्तावित सब्सिडी पर बहुत से प्रश्न अभी उत्तर की प्रतीक्षा में

तेल कम्पनियां eKYC करते समय ‘रबर टियूब’ बेचने और ‘अनिवार्य जाँच’ का बनाती है दबाव

राजस्थान एल.पी.जी वितरक संघ ने एक प्रैस वार्ता कर घरेलू गैस वितरण और सम्बंधित विभिन्न कार्यक्रमों में आ रही समस्याओं पर राजस्थान सरकार का ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि सरकार राज्य स्तर पर वितरक प्रतिनिधियों के साथ एक मीटिंग बुला कर समस्यायों पर चर्चा करें, ताकि हड़ताल जैसी नौबत नहीं आए। उपभोक्तायों को राहत देने के सरकारी प्रयास में हम वितरक अपनी अच्छी भागीदारी निभाते रहे हैं और निभाते रहेंगे किंतु ज़िम्मेदार अधिकारियों को भी वितरकों की समस्या का हल करने में अपनी भागीदारी निभानी चाहिए।
संघ के पदाधिकारियों ने संचार माध्यमों के प्रतिनिधियों को बताया कि विकसित भारत संकल्प यात्रा के अंतर्गत लगाए जाने कैम्प में गैस वितरकों को बहुत दिक्कातों का सामना करना पड़ रहा है।
वितरक से अपेक्षा की जा रही है की एक दिन में 2 से 3 कैम्प में विभिन्न स्थानों पर सेवाएँ दे। एक वितरक के पास सीमित स्टाफ़ और संसाधन होते हैं। साथ ही गैस वितरण से सम्बंधित नियमित कार्य भी करना होता है। सभी जगह पर सेवाएँ देना असम्भव सा हो जाता है।
टेम्परेरी नियुक्त स्टाफ़ पर इस ज़िम्मेवारी को नहीं सौंपा जा सकता।
संघ ने प्रशासनिक अधिकारी पर दवाब डालने का आरोप लगाते हुए कहा कि कैम्प में KYC करने और तुरंत गैस कनेक्शन देने का भी ज़ोर डालते है, जबकि कनेक्शन देने से पहले कम्पनी द्वारा निर्धारित प्रक्रिया को पूरा करना होता है। अपात्र व्यक्तियों को कनेक्शन जारी नहीं किया जा सकता। अधिकारी अपना टार्गेट स्वयं निर्धारित कर उसे पूरा करने पर आमादा हो रहे है और नहीं करने पाने पर वितरकों को लताड़ तक लगा रहे हैं, जबकि इस टार्गेट को पूरा करना एल गैस वितरक के हाथ की बात नहीं होती।
दूसरी ओर कम्पनी व आधार के सर्वर धीमी गति से चल रहे है और दूर दराज के गाँवों में डाटा नेट्वर्क कमजोर होने से eKYC कर कनेक्शन बनाना सम्भव नहीं होता। वहीं गैस वितरक को भारत सरकार द्वारा निर्धारित मानदेय मिलता है। उस मानदेय में इस प्रकार के अनेक कैम्पो का खर्चा होने से गैस वितरक को भारी आर्थिक नुक़सान उठाना पड़ रहा है!

गैस की प्रस्तावित सब्सिडी पर बहुत से प्रश्न अभी उत्तर की प्रतीक्षा में
संघ ने यह भी कहा कि गैस की प्रस्तावित सब्सिडी पर बहुत से प्रश्न अभी उत्तर की प्रतीक्षा में है। इससे ग्राहकों को जवाब देने में वितरकों को असमंजस का सामना करना पड़ता है। संघ ने सरकार को कहा कि गैस वितरण, कैम्प और सब्सिडी जैसे विषयों पर वितरक प्रतिनिधियों से बात कर सुविधा अनुसार कार्यक्रम व नीति बनाएं ताकि गैस उपभोक्ताओं को विभिन्न योजनाओं का लाभ बिना किसी बाधा के दिया जा सके।

तेल कम्पनियां eKYC करते समय ‘रबर टियूब’ बेचने और ‘अनिवार्य जाँच’ का बनाती है दबाव

संघ ने तेल कम्पनियों पर कई आरोप लगाते हुए संचार माध्यमों के प्रतिनिधियों को बताया कि सर्दी के इस मौसम में, जब गैस की खपत आम तौर पर बढ़ जाती है, गैस की सप्लाई नियमित नहीं दी जा रही है। वितरक तो पैसे और अपना इंडेंट कर सकते हैं, जिसमें कोई कमी नहीं है, इसके उपरांत वितरक को गैस उपलब्ध करवाना कम्पनी की ज़िम्मेवारी है। 1 जनवरी के पश्चात (ट्रक हड़ताल के बाद) गैस सप्लाई पटरी पर नहीं आई है। वितरकों द्वारा किए गए इंडेंट कम्पनी द्वारा मनमाने ढंग से कैन्सल कर दिए जाते हैं। कम्पनी द्वारा वितरकों को ग़ैर वाजिब टार्गेट पूरा करने को बाध्य किया जा रहा है। यहाँ तक कि eKYC करते समय ‘रबर टियूब’ बेचने और ‘अनिवार्य जाँच’ के लिए भी दबाव डाला जा रहा है। इस जाँच के लिए ग्राहक को 236/- रुपये देने होते हैं। जो कि इस प्रकार के टार्गेट पर कार्य करना वितरक के लिए व्यावहारिक नहीं है।

वहीं दूसरी ओर वितरकों द्वारा किसी भी टार्गेट को पूरा नहीं कर पानेर पर वितरक के विरुद्ध MDG के अंतर्गत लाखों रुपय की शाश्ति लगाने की धमकी भी दी जाती है और कई वितरकों पर इस प्रकार से कोई न कोई गलती निकाल कर लाखों रुपय की शास्ति लगायी गयी है। DAC / OTP के टार्गेट पूरा करने की अनिवार्यता के चलते गावों में और गरीब तबके के परिवारों को गैस सप्लाई करने में बाधा आ रही है।
संघ के पदा​धिकारियों ने कहा कि कई प्रयासों के उपरांत भी, कम्पनी द्वारा इन समस्याओं के समाधान के लिए वितरक प्रतिनिधियों से बात नहीं की जा रही है। पिछले वर्ष, वितरकों द्वारा हड़ताल का नोटिस देने पर आश्वासन दिया गया था की प्रत्येक 3-4 माह में एक मीटिंग कर, वितरकों की समस्याओं का समाधान किया जाएगा, किंतु समाधान तो दूर, कम्पनियाँ समस्या सुनने तक को तैयार नहीं हैं।

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