जयपुर डकैत एसोसिएशन और रेरा की दादागिरी से जनता त्रस्त

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कांग्रेस के जमाने से चली आ रही लूट की परंपरा आज भी बरकरार है। जमीन माफियाओ द्वारा लूट तथा उपभोक्ताओं की भावनाओ के साथ खिलवाड़ का यह कारोबार वैसे तो पूरे जयपुर में संचालित है। लेकिन मुख्यमंन्त्री भजनलाल शर्मा के विधानसभा क्षेत्र में जेडीए और रेरा की मिलीभगत से तथाकथित बिल्डर जनता को बुरी तरह निचोड़ने में लगे हुए है।

कांग्रेस के वक्त गेटेड टाउनशिप के नाम पर जेडीए ने अनाप शनाप अनुमोदन जारी कर भू माफियाओ को लूटने का लाइसेंस जारी कर दिया। आज जेडीए का यह हाल है कि पैसे दो और स्वीकृति लो। वैसे तो जेडीए को जयपुर डकैत एसोसिएशन के नाम से जाना जाता है। लेकिन अब इस एसोसिएशन ने विशाल रूप धारण कर लिया है। जेडीए के सभी जोन रिश्वत बटोरने के अड्डे है, लेकिन जोन 9, 10 और 11 लूटने में सबको पीछे छोड़ दिये है। एक जोन उपायुक्त की अनुमानित कमाई पांच करोड़ रुपये प्रतिमाह आंकी जाती है। खेद का विषय है कि एसीबी भी आंख मूंदे बैठी है और जेडीए आयुक्त भी।

जिस तरह जेडीए रिश्वत संग्रह का केंद्र बना हुआ है, उससे बड़ा लूट का केंद्र रेरा (रियल एस्टेट रेगुलेशन ऑथरिटी) है। यद्यपि रेरा की अध्यक्ष वीनू गुप्ता काफी सख्त और ईमानदार अधिकारी मानी जाती है। लेकिन अधीनस्थों ने जबरदस्त उत्पात मचा रखा है। जेडीए की तर्ज पर यहां रिश्वत तो और स्वीकृति प्राप्त करो । बिना टाइटल और नियमो की पालना किये बिना। रेरा की स्थापना के साथ ही एक अधिकारी यहां पदस्थापित है। पिछले 7-8 साल से यह रेरा को छोड़ ही नही रहा है। रिश्वत के दम पर हर बार तबादला होने से पहले ही एक्सटेंशन कराने की ताकत रखता है यह अधिकारी । धन संग्रह इसकी वकील बेटी के माध्यम से होता है। रेरा का समानांतर प्रशासन वकील साहिबा द्वारा संचालित है।

जानकारी के अनुसार कांग्रेस राज में पिछले तीन साल के अंदर अकेले जयपुर में जेडीए और रेरा द्वारा करीब ढाई सौ टाउनशिप की स्वीकृति जारी कर इन विभागों ने गरीब जनता को लूटने का लाइसेंस जारी किया है। इन दोनों के बैनर तले बिल्डर जनता को निर्मम तरीके से लूट रहे है। ज्यादातर टाउनशिप पर गोकुल कृपा का अधिपत्य है । इसके अतिरिक्त करीब 20 अन्य ग्रुप भी सक्रिय है। दो ग्रुप कांग्रेस में मंत्री रहे व्यक्ति से ताल्लुक रखते है । जबकि पांच ग्रुप में कांग्रेसी विधायको का करीब एक हजार करोड़ निवेश है।

जेडीए का काम है टाइटल आदि देखकर टाउनशिप को अनुमोदित करना। जबकि रेरा का कार्य यह देखना है कि टाउनशिप निर्माण नियमानुसार हो रहा है या नही। चूंकि दोनों विभागों में रिश्वत का बोलबाला है इसलिए टाउनशिप के नियमो की पूरी तरह अनदेखी की जा रही है। नतीजतन लाखों भूखण्डधारी भूमाफियाओं के हाथों लुट रहे है और सरकार, मुख्यमंत्री और यूडीएच मंत्री खमोश होकर तबाही का मंजर देख रहे है। यूडीएच मंत्री झाबरमल खर्रा का शहर से कोई ताल्लुक नही है, इसलिए जेडीए और रेरा की मनमानी चरम पर है।

मैंने आज मुख्यमंन्त्री के विधानसभा क्षेत्र में पत्रकार कॉलोनी, नारायण विहार, धोलाई, भारत माता सर्किल, मुहाना, रामपुरा तथा मदाऊ आदि क्षेत्रों का दौरा किया। दौरा करने के बाद लगा ही नही कि इन क्षेत्रों में सरकार सक्रिय भी है। मदाऊ में स्थित रूपराज, कासली एन्कलेव तथा अरन एन्कलेव बसा तो दी है। लेकिन यहां के आवंटी बुनियादी सुविधाओं के लिए जेडीए, रेरा और डवलपर्स के यहां धक्के खा रहे है। डवलपर्स माल समेट कर भाग छूटे और आवंटी रो रहे है अपने कर्मो को। इनकी सुनवाई न जेडीए कर रहा है और न ही रेरा। दोनों विभागों का एक ही बुनियादी उद्देश्य है रिश्वत बटोरना।

आकर्षक ब्रोशर प्रकाशित कर डवलपर्स आम जनता को लुभाते है। जनता भी इनके झांसे में आ जाती है। पक्की सड़क, अंडरग्राउंड विद्युत लाइन, मंदिर, पार्क, किड्स प्ले सेंटर, कम्युनिटी हाल, ऑप्टिकल लाइन, 24 घण्टे सिक्युरिटी, सीसीटीवी कैमरे, नियमित सफाई और रखरखाव। लेकिन इनमें से कोई भी बुनियादी सुविधा मुहैया नही है । रूप राज एन्कलेव में न कोई सिक्युरिटी थी और न ही कैमरा। सफाई तो लगता है कभी हुई ही नही। पार्क केवल छलावा है। हरियाली का दूर दूर तक नामोनिशान नही। कमोबेश सभी टाउनशिप का यही हाल है।

मुख्यमंन्त्री का क्षेत्र होने के बाद भी इन टाउनशिप में रहने वालों के लिए अनेक तरह की बुनियादी सुविधा जैसे परिवहन, चिकित्सा, गैस सिलेंडर की सप्लाई, खान पान का सामान नदारद है। कांग्रेस राज में जो सेक्टर रोड प्रारम्भ की गई थी, उनका निर्माण कार्य पूरी तरह बंद है। चूंकि अभी तक अधिकारियों के तबादले जारी है, इसलिए सड़क एवं अन्य निर्माण कार्य थमे पड़े है। जेडीए आयुक्त मंजु राजपाल की न तो विकास कार्य में कोई रुचि है और न ही भ्रस्टाचार पर लगाम लगाने में।

भजनलाल सरकार को भू माफिया पर लगाम लगानी है तो उसे अविलम्ब 90 ए और 90 बी पर अविलम्ब रोक लगानी होगी। इसके अलावा जो भी व्यक्ति जेडीए में पहले कभी सतर्कता शाखा, तहसीलदार, एटीपी या जोन उपायुक्त पद पर रह चुका है, उसकी किसी भी हालत में नियुक्ति नही होनी चाहिए। क्योंकि कई अधिकारियों के लिए जेडीए किसी चारागाह से कम नही है। साल, दो साल फिर से लूटने के लिए जोड़तोड़ लगाकर यहीं पदस्थापन करा लेते है।

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