राजस्व मंडल में अधिवक्ता संवर्ग से सदस्य पद के लिए आवेदन आमंत्रित- 31 अगस्त, 2023 होगी आवेदन की अंतिम तिथि

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जयपुर, 16 अगस्त। राजस्व मंडल राजस्थान अजमेर में अधिवक्ता संवर्ग से सदस्य के एक रिक्त पद को भरने के लिए पात्र अधिवक्ताओं से निर्धारित प्रारूप में आवेदनपत्र आमंत्रित किए गए हैं। यह नियुक्ति राजस्थान भू राजस्व (बोर्ड के अध्यक्ष औरसदस्यों की अर्हता और सेवा शर्तें) नियम, 1971 की शर्तों के अनुसार की जाएगी। इच्छुक अधिवक्ता निबंधक, राजस्व मंडल राजस्थान, अजमेर के कार्यालय में अपना आवेदन पत्र 31 अगस्त, 2023 को शाम 5ः00 बजे तक व्यक्तिशः उपस्थित होकर अथवा डाक द्वारा भिजवासकते हैं। आवेदन पत्र का प्रारूप राजस्व मंडल राजस्थान अजमेर की वेबसाइट https://landrevenue.rajasthan.gov.in/bor/# से डाउनलोड किया जा सकता है। ‌

यह होगी पात्रता—
इस पद पर नियुक्ति के लिए ऐसे अधिवक्ता पात्र होंगे, जो उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति के लिए अर्हता प्राप्त हैं एवं नियुक्ति होने के वर्ष की 1 जनवरी को अर्थात 1 जनवरी, 2023 को 54 वर्ष की आयु पूर्ण कर चुके हैं। आवेदकों में से नियुक्ति के लिए चयन की प्रक्रिया एवं सेवा की शर्तें समय-समय पर यथा संशोधित राजस्थान भू राजस्व बोर्ड (बोर्ड के अध्यक्ष और सदस्यों कीअर्हता और सेवा शर्तें) नियम 1971 के अधीन होंगी।

सवाई मानसिंह स्टेडियम में हुआ राज्य स्तरीय स्वतंत्रता दिवस समारोह

जयपुर, 15 अगस्त। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने स्वतंत्रता दिवस पर अमर शहीदों को नमन किया। उन्होंने प्रदेशवासियों को बधाई देते हुए कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधीजी की रहनुमाई में अहिंसा के पथ पर आगे बढ़कर देश ने अपना मजबूत लोकतंत्र कायम रखा है। अब इसकी रक्षा करना हम सभी की बड़ी जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान के अनुरूप राज्य सरकार प्रदेश में सामाजिक, आर्थिक समानता को बढ़ावा देने और आमजन के सर्वांगीण विकास के लिए प्रतिबद्ध है। सरकार नीति निर्देशक तत्वों की पालना करते हुए कार्य कर रही है।
श्री गहलोत मंगलवार को स्वतंत्रता दिवस-2023 के अवसर पर जयपुर के सवाई मानसिंह स्टेडियम में राज्यस्तरीय समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने ध्वजारोहण कर परेड का निरीक्षण किया।
श्री गहलोत ने युवाओं का आह्वान करते हुये कहा कि प्रदेश का हर नागरिक मतदान अवश्य कर प्रदेश की प्रगति में अहम भूमिका निभाएं। उन्होंने युवाओं से आह्वान किया कि उन्होंने राष्ट्र और मानवता के जो सपने देखे हैं, उन्हें कृतसंकल्पित होकर पूरा करें। सरकार युवाओं की भावनाओं के अनुरूप कार्य कर रही है।

‘मिशन 2030‘ के लिए 1 करोड़ प्रदेशवासियों से सुझाव लेगी राज्य सरकार

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जयपुर, 15 अगस्त। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि राज्य सरकार ने कुशल वित्तीय प्रबंधन कर जनकल्याणकारी योजनाओं से हर व्यक्ति को लाभान्वित किया है। अब राजस्थान को देश के अग्रणी राज्यों में लाने के लिए राज्य सरकार ने ‘मिशन 2030‘ का लक्ष्य निर्धारित किया है। इसके लिए मिशन 2030 की मुहिम चलाकर अर्थशास्त्रियों, लेखकों, पत्रकारों, विद्यार्थियों, सरकारी कर्मचारियों, अधिवक्ताओं, किसानों, मजदूरों, महिलाओं, युवाओं, बुद्धिजीवियों, खिलाड़ियों सहित एक करोड़ प्रदेशवासियों से सुझाव लिए जाएंगे। राज्य सरकार इन्हें समाहित कर मिशन 2030 का विजन डॉक्यूमेंट जारी करेगी।

श्री गहलोत मंगलवार को जयपुर के सवाई मानसिंह स्टेडियम में स्वतंत्रता दिवस पर आयोजित राज्य स्तरीय समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि वर्ष 2018-19 में प्रदेश की अर्थव्यवस्था करीब 9 लाख 11 हजार करोड़ रुपए थी। यह आज करीब 14.14 लाख करोड़ रुपए है। इसे वर्ष 2030 तक करीब ढाई गुना बढ़ाकर 35.71 लाख करोड़ रुपए ले जाने का हमारा लक्ष्य है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रत्येक राजस्थानी संकल्प ले कि वे वर्ष 2030 तक राजस्थान में प्रगति की गति 10 गुना बढ़ाकर हर क्षेत्र में देश का प्रथम राज्य बनाने में अहम योगदान निभाएंगे।

मुख्यमंत्री निःशुल्क अन्नपूर्णा फूड पैकेट योजना का आगाज 15 अगस्त से

जयपुर, 14 अगस्त। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत स्वतन्त्रता दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री निःशुल्क अन्नपूर्णा फूड पैकेट योजना का शुभारंभ करेंगे। राज्य सरकार जरूरतमंद लोगों के कल्याण के लिए लगातार एक से बढ़कर एक योजनाएं संचालित कर रही है। इसी कड़ी में महंगाई से राहत देने के लिए 15 अगस्त को बिड़ला ऑडिटोरियम में अपराह्न 3ः30 बजे योजना की शुरुआत की जाएगी।
योजना का शुभारंभ समारोह प्रदेश के नवगठित सहित सभी जिला एवं ब्लॉक मुख्यालयों के साथ उचित मूल्य की 25 हजार से अधिक दुकानों पर भी आयोजित किया जाएगा। राज्य स्तरीय कार्यक्रम का जिला एवं ब्लॉक स्तर पर लाइव प्रसारण किया जाएगा। राज्य, जिला एवं ब्लॉक स्तर पर तथा उचित मूल्य की दुकानों पर आयोजित होने वाले शुभारंभ समारोह में पात्र लाभार्थियों को निःशुल्क अन्नपूर्णा फूूड पैकेट का वितरण किया जाएगा।

जिला एवं ब्लॉक स्तरीय समारोह स्थल पर एक एफपीएस कियोस्क स्थापित किया जाएगा जहां जन प्रतिनिधियों द्वारा पोस मशीन के माध्यम से लाभार्थियों को निःशुल्क फूड पैकेट का वितरण किया जाएगा। आयोजित होने वाले इन कार्यक्रमों में राज्य मंत्रिपरिषद के सदस्य, विधायक सहित अन्य जनप्रतिनिधि उपस्थित रहेंगे।

इस योजना के तहत राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) से जुड़े परिवारों को प्रतिमाह राशन की दुकान से अन्नपूर्णा फूड पैकेट मिलेगा। इस पैकेट में एक-एक किलो चना दाल, चीनी एवं आयोडाइज्ड नमक, एक लीटर सोयाबीन रिफाइण्ड खाद्य तेल, 100-100 ग्राम मिर्च पाडडर एवं धनिया पाउडर तथा 50 ग्राम हल्दी पाउडर निःशुल्क मिलेगा। प्रदेश में कोई भूखा न सोए के संकल्प को साकार करने की दिशा यह योजना मील का पत्थर साबित होगी।

प्रदेश में कोरोना से अनाथ बालक-बालिकाओं को वयस्क होने पर मिलेगी सरकारी नौकरी

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जयपुर, 14 अगस्त। राज्य सरकार कोरोना महामारी के कारण अनाथ हुए बालक-बालिकाओं को वयस्क होने पर अनुकम्पात्मक नियुक्ति देगी। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इसके लिए विभिन्न सेवा नियमों में संशोधन के प्रस्ताव को प्रशासनिक स्वीकृति दी है।

कार्मिक विभाग के प्रस्ताव के अनुसार अनाथ हुए बालक-बालिकाओं को वयस्क होने पर पे मैट्रिक्स एल-9 में नियुक्ति दी जाएगी। प्रस्ताव के अनुसार वह अनाथ बालक/बालिका नियुक्ति प्राप्त कर सकेंगे, जिनके जैविक अथवा दत्तक ग्रहण करने वाले माता-पिता की मृत्यु कोरोना के कारण 31 मार्च, 2023 अथवा इससे पूर्व हो चुकी हो।

साथ ही, ऐसे अनाथ बालक/बालिका जिसके माता या पिता में से किसी एक की मृत्यु पूर्व में हो चुकी हो तथा दूसरे की मृत्यु कोरोना के कारण 31 मार्च 2023 या उससे पूर्व हुई हो एवं अनाथ होने के समय जिसकी आयु 18 वर्ष से अधिक नहीं हो, को भी नियुक्ति दी जा सकेगी।

प्रस्ताव में अनाथ के माता-पिता की मृत्यु की अंतिम दिनांक मुख्यमंत्री कोरोना सहायता योजना-2021 में प्रावधित 15 अक्टूबर, 2022 से विस्तारित करते हुए 31 मार्च, 2023 की गई है।

प्रदेश के 31 संस्कृत महाविद्यालयों में होगा ध्यान कक्षों का निर्माण

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जयपुर, 13 अगस्त। विद्यार्थियों के मानसिक और शारीरिक विकास के लिए 31 संस्कृत महाविद्यालयों में ध्यान कक्षों का निर्माण होगा। इसमें 4.65 करोड़ रूपए खर्च होगें। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ध्यान कक्षों के निर्माण हेतु वित्तीय प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान की है।
गहलोत ने कहा कि प्रत्येक ध्यान कक्ष का निर्माण 15 लाख रूपए की लागत से होगा। इनमें योग एवं ध्यान की नियमित कक्षाएं संचालित की जाएंगी। इन कक्षाओं के माध्यम से विद्यार्थियों के मानसिक और शारीरिक विकास होगा।

इन महाविद्यालयों में बनेंगे कक्ष-
राजकीय महाराज आचार्य संस्कृत महाविद्यालय जयपुर, राजकीय आचार्य संस्कृत महाविद्यालय जोधपुर, राजकीय आचार्य संस्कृत महाविद्यालय बीकानेर, राजकीय आचार्य संस्कृत महाविद्यालय उदयपुर, राजकीय आचार्य संस्कृत महाविद्यालय भरतपुर, राजकीय आचार्य संस्कृत महाविद्यालय चिराना, राजकीय आचार्य संस्कृत महाविद्यालय सीकर,राजकीय आचार्य संस्कृत महाविद्यालय गनोड़ा, राजकीय आचार्य संस्कृत महाविद्यालय दौसा, राजकीय आचार्य संस्कृत महाविद्यालय कोटा, राजकीय आचार्य संस्कृत महाविद्यालय अजमेर, राजकीय आचार्य संस्कृत महाविद्यालय कोटकासिम, राजकीय आचार्य संस्कृत महाविद्यालय मनोहरपुर, राजकीय आचार्य संस्कृत महाविद्यालय बोली, राजकीय शास्त्री संस्कृत महाविद्यालय महापुरा, राजकीय शास्त्री संस्कृत महाविद्यालय चीथवाड़ी, राजकीय शास्त्री संस्कृत महाविद्यालय तितरिया, राजकीय शास्त्री संस्कृत महाविद्यालय कालाडेरा, राजकीय शास्त्री संस्कृत महाविद्यालय श्रीमाधोपुर, राजकीय शास्त्री संस्कृत महाविद्यालय सालासर, राजकीय शास्त्री संस्कृत महाविद्यालय अलवर, राजकीय शास्त्री संस्कृत महाविद्यालय तालाब गांव, राजकीय शास्त्री संस्कृत महाविद्यालय नीमकाथाना, राजकीय शास्त्री संस्कृत महाविद्यालय पीठ डूंगरपुर, राजकीय शास्त्री संस्कृत महाविद्यालय सरमथुरा धौलपुर, राजकीय शास्त्री संस्कृत महाविद्यालय चक, राजकीय शास्त्री संस्कृत महाविद्यालय चौथ का बरवाड़ा, राजकीय शास्त्री संस्कृत महाविद्यालय चेचट, राजकीय शास्त्री संस्कृत महाविद्यालय कुंड गेट सांवर, राजकीय शास्त्री संस्कृत महाविद्यालय नाथद्वारा, राजकीय शास्त्री संस्कृत महाविद्यालय सैदपुरा भरतपुर

आपकी बिरादरी का मुख्यमंत्री बैठा है, आप मांग ही क्यों रहे हो, मुझे तो इशारा ही बहुत है

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मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शनिवार को अधिवक्ताओं वर्ग के लोगों को संबोधित किया। उन्होंने मनचलों के इलाज का पुख्ता काम करने की बात की तो हुक्का बार, ड्रग्स जैसी बुराई पर कार्रवाई की भी बात की।
गहलोत ने कहा कि भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में वकीलों ने महत्वपूर्ण योगदान दिया था। आदर्श समाज के निर्माण में वकीलों की भूमिका अहम रही है। उन्होने कहा कि मैं खुद शुरुआती दौर में वकील रहा हूं। जो मांगते हैं उससे अधिक दे रहा हूं, आपकी बिरादरी का मुख्यमंत्री बैठा है। आप मांग ही क्यों रहे हो, मुझे तो इशारा ही बहुत है।

वहीं युवा महापंचायत में आयोजित समारोह के दौरान गहलोत ने कहा कि छात्र संघ चुनाव पर शिक्षा राज्य मंत्री राजेंद्र यादव ही फैसला करेंगे। लेकिन मैं यह जरूर कहना चाहूंगा कि जब चुनाव बंद हो गए थे। तब मैं ही वह मुख्यमंत्री हूं, जिसने फिर से चुनाव शुरू करवाए थे। आज इस तरह से स्टूडेंट पैसे खर्च कर रहे हैं, जैसे एमएलए-एमपी के चुनाव लड़ रहे हो। आखिर कहां से पैसा आ रहा है और इतने पैसे क्यों खर्च किए जा रहे हैं, जबकि यह सब लिंगदोह कमेटी की सिफारिशों के खिलाफ है।

क्या सत्ता जाने का डर सता रहा है गहलोत को —ओम माथुर

—क्या मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को यह लगने लगा है कि राजस्थान में उनका मिशन रिपीट का सपना नाकाम होने जा रहा है?
—क्या गहलोत को यह आशंका है कि वह भले ही 156 सीटें लाने का दावा कर रहे हो, लेकिन मामला 56 के आसपास सिमटकर ना रह जाए?
—क्या मुख्यमंत्री को यह लगने लगा है कि राजस्थान में कांग्रेस विधायकों और मंत्रियों की छवि उनके इलाकों में इतनी खराब हो गई है कि उनमें से अधिकांश के जीतने के आसार नहीं हैं?
—क्या गहलोत को लगने लगा है कि राजस्थान में ही नहीं, दिल्ली से भी कांग्रेस के बड़े उन्हें नाकाम करने के लिए उनके खिलाफ साजिश रच रहे है?
—क्या मुख्यमंत्री को ये लगने लगा है कि उनकी ढेर सारी मुफ्त योजनाओं पर राज्य में भ्रष्टाचार,बलात्कार,महिला सुरक्षा का मुद्दा चुनावों में भारी पड़ने वाला है?

शुक्रवार को राजस्थान में हुई कांग्रेस की पॉलिटिक्स अफेयर्स कमेटी की बैठक में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भाजपा को बैठे बिठाये कांग्रेस पर सवाल उठाने का मौका दे दिया है। शुक्रवार की घटना में गहलोत के उपर ओम मा​थुर ने कई सवाल खड़े कर दिये है।

भाजपा नेता ओम प्रकाश माथुर ने सवाल करते हुए कहा कि कल विधानसभा चुनाव को लेकर बनी कांग्रेस की पॉलिटिक्स अफेयर्स कमेटी की बैठक में गहलोत ने जिस तरह की भाषा में अपने सहयोगियों और विधायकों को झाड़ा, उससे यह जाहिर हो रहा है, मानो गहलोत को सत्ता जाने का डर अभी से सताने लगा है। जिन रघुवीर मीणा,नीरज डांगी, प्रताप सिंह खाचरियावास और रघु शर्मा पर वह बरसे, वो गहलोत के ही करीबी माने जाते रहे हैं। हां, खाचरियावास और शर्मा अपनी सहूलियत से खेमा बदलते जरूर रहे हैं,लेकिन फिर भी उन्होंने अशोक गहलोत से कभी खुली अदावत नहीं की। ऐसे में इन पर गुस्सा उतारना मुख्यमंत्री का फर्स्टटेशन ही कहा जाएगा। जिन उठाए गए मुद्दों पर गहलोत हंसकर अपनी बात कह सकते थे, उन पर तंज कसकर वो अपने राजनीतिक विरोधियों की तादाद में बढ़ोतरी ही करेंगे। भले ही चुनाव तक यह लोग खामोश रहे, लेकिन अपनी सार्वजनिक तौहीन कोई भी विधायक-मंत्री बर्दाश्त नहीं कर सकता है और मौका मिलने पर राजनीति में इसका बदला जरूर लेता है। कहते हैं कि राजनीति में तो सबसे बड़ा धोखा वो ही देता है जो आपके सबसे करीब होता है।

माथुर ने कहा महत्वपूर्ण बात यह है कि इनमें से किसी ने भी गलत बात नहीं की थी, लेकिन जवाब सभी को गलत अंदाज में मिला। ऐसा लगता है इन सब की टिप्पणियों को गहलोत ने व्यक्तिगत ले लिया और शायद यह भी मान लिया कि ये सभी उनकी समझ और राजनीतिक अनुभव को चुनौती दे रहे हैं। जाहिर है चुनाव के वक्त जातिगत जनगणना कांग्रेस को राजस्थान में नुकसान पहुंचा सकती है और रघु शर्मा ने यही आशंका जताई थी। लेकिन गहलोत ने उन्हें ये कहकर तल्खी से जवाब दिया कि, तुम तो नेशनल लीडर हो सीधे राहुल गांधी से बात क्यों नहीं करते। कर्नाटक में राहुल गांधी ने ही कहा था कि जातिगत जनगणना कांग्रेस स्टैंड है। गहलोत राहुल के नाम का ताना मारने की वजह सिर्फ यह भी कह सकते थे कि क्योंकि जातिगत गणना पार्टी का स्टैंड इसलिए राजस्थान में भी कराई जाएगी, बात खत्म हो जाती। आखिर शर्मा कोई मामूली नेता नहीं है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के गृह राज्य गुजरात के चुनाव प्रभारी रहे थे। यह बात अलग है कि वह कांग्रेस को वहां बुरी तरह निपटा कर आए थे। राजस्थान के सबसे अमीर कांग्रेसी नेताओं में वो शुमार है और जब गहलोत और पायलट में सीएम पद को लेकर बगावत और विधायकों की भगदड़ का दौर चल रहा था, तब वह खुद को मुख्यमंत्री का दावेदार भी समझने लगे थे।
यह ठीक है कि रघु शर्मा का इस बार केकड़ी से वापस चुनाव जीतना बहुत मुश्किल है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि गहलोत उन्हें इस तरह बेइज्जत कर दें। रघु शर्मा की राजनीतिक चतुराई और मैनेजमेंट को आप इस तरह समझ सकते हैं कि वह भिनाय से विधानसभा के लगातार तीन चुनाव हारने और जयपुर से सांसद का चुनाव हारने के बाद पांचवीं बार में 2013 में पहली बार केकड़ी के विधायक बने थे। बताइए इतने चुनाव हारने के बाद किसे राजनीति में आगे बढ़ने का मौका मिलता है।
इसी तरह खाचरियावास का यह मुद्दा उठाना भी गलत नहीं था कि हमें भाजपा के आरोपों पर आक्रामक होने की जरूरत है। भाजपा ने नहीं सहेगा राजस्थान अभियान चलाकर कांग्रेस को घेरना शुरू कर दिया है और सोशल मीडिया पर भी वह आक्रामक मुद्रा में है। ऐसे में कांग्रेस रक्षात्मक मुद्रा में क्यों रहे? लेकिन गहलोत ने खाचरियावास को ही उनकी व्यक्तिगत आक्रामकता और बोलते समय ट्रैक से भटक जाने का ताना मारते हुए अपरोक्ष रूप से अनुशासनहीन करार दे दिया।
उन्होंने कहा कि ये तो ऐसी वेणुगोपाल है, जो अनुशासन के मामले में कार्रवाई में वक्त लगा देते हैं। अगर इनकी जगह मैं होता तो कार्रवाई में देर नहीं करता। खाचरियावास ने ऐसे कई मुद्दों पर बयान दिए हैं, जो सरकार को परेशानी में डालने वाले रहे हैं। उन्होंने जयपुर में स्मार्ट सिटी के कामों की धीमी गति को लेकर सरकार में नंबर दो माने जाने वाले एवं गहलोत के विश्वस्त शांति धारीवाल पर भी यह कहते निशान साधा था कि वो भाजपा के कार्यकर्ता हो गए हैं। कांग्रेस को हराना चाहते हैं। यानी अगर गहलोत का बस चलता तो क्या वह खाचरियावास को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा देते। पूर्व सांसद रघुवीर मीणा ने भी क्या गलत कहा था जब मानगढ़ आदिवासी इलाका है, तो वहां ओबीसी आरक्षण की घोषणा किस राजनीति नजरिए से उचित थी। आदिवासियों के बीच में उनके हित की बात करते तो ज्यादा उचित होता। आदिवासी इस बात से नाराज है कि हमारा अधिकार दूसरों को दिया जा रहा है, इससे पार्टी को नुकसान होगा। लेकिन इसे गहलोत ने व्यक्तिगत हमला मानते हुए मीणा खरी-खरी सुनाते हुए कहा कि मुख्यमंत्री हूं, कौन सी बात कहां रखनी है, मैं जानता हूं। राज्यसभा सांसद नीरज डांगी तो गहलोत का ताना सुनकर रो ही पड़े। किसी नेता की इससे बड़ी बेइज्जती क्या होगी कि उसे यह कहा जाए कि विधानसभा के लिए तीन मौके दिए। लेकिन हार गए, तो पार्टी ने राज्यसभा सांसद बना दिया। कम से कम एक सीट जिता पाने की जिम्मेदारी तो लो। साले के लिए टिकट मांगना छोडो। डांगी को राज्यसभा सांसद गहलोत ने ही तो बनवाया था। जो तीन बार चुनाव हार चुका हो, ऐसे बिना जनाधार की नेता को राज्यसभा भेजने की जरूरत क्या थी। इससे तो लगता है कि आप मुख्यमंत्री के करीबी हो, तो कितने भी चुनाव हार जाओ, आपका राजनीतिक भविष्य बर्बाद नहीं होगा। भले इसके लिए दूसरे नेताओं की बलि चढ़ा दी जाए।
गहलोत की राजनीति को लंबे समय से देखने और समझने वाले प्रेक्षकों का मानना है कि 2020 में जब से सचिन पायलट ने बगावत की थी, तब से अशोक गहलोत का व्यवहार एकदम से बदल गया है। उनके मधुर और सौम्य व्यवहार पर गुस्से और चिड़चिड़ापन ने कब्जा कर लिया है। उनकी भाषा और शब्दों का चयन भी निरंतर गिरता रहा है। यह भी कहा जा रहा है कि विधानसभा चुनाव में गहलोत अपनी मर्जी से टिकट वितरण नहीं कर पाएंगे, इसलिए भी वो परेशान हैं। इस पर नजर रखने के लिए मधुसूदन शास्त्री और गौरव गोगोई जैसे नेताओं को राजस्थान में लगाया गया है, यह दोनों राहुल गांधी के करीबी है और वेणुगोपाल भी। ऐसे हुए भले ही गहलोत मुख्यमंत्री का पद बचाने में कामयाब रहे हो, लेकिन टिकट वितरण में उनके अकेले की चलने वाली नहीं है। वेणुगोपाल की मौजूदगी में सीएम ने अपने कटु वचनों से यह जाहिर कर दिया कि उन्हें अपने काम में किसी के दखलंदाजी बर्दाश्त नहीं है। लेकिन वह तो एक बार उन्हें सहनी ही होगी। बैठक में सचिन पायलट की खामोशी ने उनके नंबर कांग्रेस आलाकमान नजरों में और बढ़ा दिया होंगे।

प्रकाश के प्रकाश से ही चमकेगा वसुंधरा राजे का चेहरा

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वसुंधरा तेरी खेर नहीं, मोदी तुझसे बैर नहीं, प्रदेश के पिछले विधान सभा चुनावों में इस नारे ने खूब धूम मचाई थी। जिसका खामियाजा भाजपा और वसुंधरा ने व्यक्तिगत भुगता। जिसका असर आज भी वसुंधरा के लिये गले की हड्डी बना हुआ है।
भाजपा सूत्रों और संचार माध्यमों के अनुसार प्रदेश में भाजपा की पूर्व वसुंधरा सरकार के दौरान भाजपा के संगठन महासचिव रहे प्रकाश चन्द्र की पुर्व मुख्यंत्री राजे से नाराजगी उस दौरान जगजाहिर थी। नाराजगी के दौरान प्रकाश चन्द्र ने संघ मुख्यालय नागपुर को राजे की शिकायत दर्ज कराई थी जिसका अंधेरा आज भी कायम है।

प्रकाश के प्रकाश को तरस रही वसुंधरा गत शुक्रवार को चार घण्टे के लिए जयपुर आई थी और प्रकाश से मुलाकात कर वापस लौट गई। प्रकाश से मिलकर राजे का अंधेरा दूर हुआ या नही इसका पता 15 अगस्त को ही चल पायेगा। संचार माध्यमों के अनुसार 15 अगस्त से भाजपा परिवर्तन यात्रा जैसा कुछ नया करने जा रही है।
आपको बता दें कि राजस्थान में फिलहाल भावी मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित नहीं किया है और आगामी विधान सभा चुनाव पीएम मोदी के चेहरे पर ही लड़ा जाना है। यदि प्रकाश का प्रकाश वसुंधरा के चेहरे पड़ जाये तो माना जा रहा है कि आगामी विधान सभा चुनावों में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का चेहरा चमक सकता है।

पोलटिकल अफेयर कमेटी की मीटिंग में गहलोत की वक्र दृष्टि

प्रदेश के वॉर रूम में कांग्रेस की पोलटिकल अफेयर कमेटी की पहली बैठक हुई। इस कमेटी का गठन महज दो दिन पहले होना बताया गया है। बैठक में भाग लेने वाले कई नेता मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के कोप भाजन का शिकार हो गये। सरकार की वापसी के सपने देख रहे परेशान गहलोत ने अपने ही मंत्री मंडल के सा​थियों पर गुस्सा निकालते नजर आए। बैठक में मुख्यमंत्री स्थिति देख उपस्थित नेताओं के चेहरों पर हवाइयां उड़ने लगी। वहां मौजूद मधुसूदन मिस्त्री, वेणुगोपाल, रंधावा, सचिन पायलट और संवैधानिक पद पर बैठे सी पी जोशी केवल मूक दर्शक बने नजर आये। संचार माध्यमों के अनुसार मुख्यमंत्री की यह हालत उनकी दर्जनों घोषणाओं के बाद भी राज्य के मतदाताओं का कांग्रेस के प्रति सकारात्मक रुख नहीं बन पाना बताया जा रहा है।
आपको बता दें कि प्रदेश में कांग्रेस सरकार की वापिस के प्रयास केवल मुख्यमंत्री ही करते नजर आ रहे है। यहीं कारण है कि गहलोत बार बार दोहरा रहे हैं कि उनकी सरकार के खिलाफ राज्य में इस बार एंटी इनकम्बेंसी का वातावरण नहीं है। बैठक में गहलोत ने मंत्री प्रतापसिंह खाचरियावास को भविष्य में फाउल नहीं खेलने की सीख दे डाली। वहीं गहलोत की वक्र दृष्टि पूर्व मंत्री रघु शर्मा पड़ी और उन्हे कहा कि केकडी को जिला बनाने से स्थिति में सुधार आया है, वहीं एक दिन पहले गहलोत ने रघु को एक महिल नेत्री के माध्यम से नमस्कार कहलवाकर राजनीति संदेश दे दिया था। इसी बीच आरक्षण के मुद्दे पर सुझाव देने वाले रघुवीर मीणा भी अछूते नही रहे। मुख्यमंत्री ने कहा क्या कभी एक भी विधायक को भी चुनाव जिताया है आपने? नीरज डांगी भी मुख्यमंत्री की वक्र दृष्टि से नही बच पाये। उन्होने डांगी से कहा तुम स्वंय तीन बार विधानसभा चुनाव हारे हो फिर भी तुम्हें राज्यसभा में भेजा अब अपने साले के लिए टिकिट मांगते हुए शर्म नहीं आती है, बन्द करो नेतागिरी। मीटिंग में मंत्री रामलाल जाट और उदय लाल आंजना भी गहलोत की वक्र दृष्टि से बच नहीं पाये।
अब अगली मीटिंग 18 अगस्त को होना तय हुआ है। इस दौरान जिम्मेदार नेताओं को ब्लॉक स्तर पर फिड बैक लेने को कहा गया है।