जयपुर। आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी है इसलिए गणेशजी की पूजा और व्रत किया जा रहा है। आज ग्रह-नक्षत्रों का शुभ संयोग होने से व्रत और पूजा का फल और बढ़ जाएगा। आज दिनभर व्रत रखने के बाद शाम को भगवान शिव-पार्वती के साथ गणेशजी की पूजा होगी। चंद्रमा का दर्शन कर के अर्घ्य दिया जाएगा। इसके बाद व्रत खोला जाएगा।
ग्रह-नक्षत्रों का संयोग: आज चंद्रमा अश्लेषा नक्षत्र में है। जिससे पूरे दिन अमृत योग बन रहा है। वहीं, चंद्रमा का बृहस्पति से केंद्र में होना गजकेसरी योग बना रहा है। मंगल और चंद्रमा की युति बनने से महालक्ष्मी योग भी बन रहा है। आज सूर्य और चंद्रमा की शुभ स्थिति से रवियोग बन रहा है। इन शुभ संयोग के चलते किए गए व्रत और पूजा का पुण्य और बढ़ जाएगा।
विनायक चतुर्थी पर ऐसे करें पूजा
सुबह जल्दी उठकर नहाएं। साफ कपड़े पहनकर पूजा और व्रत रखने का संकल्प लें। पूजन के समय श्रद्धा के अनुसार सोने, चांदी, पीतल, तांबा या मिट्टी की गणेशजी की मूर्ति स्थापित करें। सुगंधित चीजों से भगवान की पूजा करें। पूजा करते समय ॐ गं गणपतयै नम: मंत्र का जाप करें। फिर गणेशजी की मूर्ति पर सिन्दूर चढ़ाएं। इसके बाद आरती करें।
गणेशजी को 21 दूर्वा चढ़ाएं। फिर लड्डुओं का भी भोग लगाएं। ब्राह्मण को भोजन करवाकर दक्षिणा दें। शाम को फिर गणेशजी की पूजा और आरती करें। इसके बाद खुद भोजन कर सकते हैं।
विनायक चतुर्थी का महत्व
विनायक चतुर्थी पर गणेशजी की पूजा दिन में दो बार की जाती है। मान्यता है कि विनायकी चतुर्थी के दिन व्रत करने और इस दिन गणेश की उपासना करने से घर में सुख-समृद्धि, आर्थिक संपन्नता के साथ-साथ ज्ञान एवं बुद्धि मिलती है। चतुर्थी पर भगवान गणेश की पूजा से सभी कार्य सिद्ध होते हैं और सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।