C M NEWS: जनसहभागिता से पेयजल के पारंपरिक स्रोतों का संरक्षण जरूरी —मुख्यमंत्री

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मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने कहा कि प्रदेश की 40 प्रतिशत आबादी को ईआरसीपी-पीकेसी लिंक परियोजना से पेयजल एवं सिंचाई के लिए जल मिल सकेगा। उन्होंने कहा कि शेखावाटी क्षेत्र में यमुना जल लाने के लिए एमओयू किया गया है। उदयपुर में देवास योजना के माध्यम से जल उपलब्धता सुनिश्चित की जा रही है। साथ ही, माही बांध से बांसवाड़ा-डूंगरपुर को पेयजल और सिंचाई के लिए योजना प्रारंभ की गई है।
श्री शर्मा शनिवार को डूंगरपुर के खड़गदा में नदियों के संरक्षण एवं संवर्धन हेतु आयोजित श्रीराम कथा कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि खड़गदा एवं आस-पास के क्षेत्र के ग्रामीणों ने 9 महीने की कड़ी मेहनत और दृढ़संकल्प से एक किलोमीटर के दायरे में मोरन नदी को चौड़ा और गहरा कर जल की उपलब्धता बढ़ाकर अभूतपूर्व कार्य किया है। मुख्यमंत्री ने आमजन से अपील करते हुए कहा कि सभी को मिलकर गांवों में उपलब्ध पेयजल के पारंपरिक स्रोतों कुएं, तालाब, बावड़ी, नदी आदि के संरक्षण के लिए सहभागिता से काम करना चाहिए, ताकि हम इस पीढ़ी और आने वाली पीढ़ी को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध करा सकंे। उन्होंने कहा कि इस आयोजन के माध्यम से खड़गदा वासियों ने प्रदेश को यह संदेश दिया है कि स्थानीय पारंपरिक जल स्रोतों का संरक्षण किया जाना बहुत आवश्यक है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि डूंगरपुर में 44 करोड़ रुपये की लागत से शिल्पग्राम बनाया जाएगा। इससे सोमपुरा मूर्तिकारों, बांसड (बांस की लकड़ियों से कलाकृति बनाने वाले) एवं पारेवा पत्थरों से कलाकृति बनाने वाले स्थानीय कलाकारों एवं अन्य प्रतिभाओं को जिला स्तर पर मंच एवं प्रोत्साहन प्राप्त होगा। साथ ही, जिले में पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा।

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