आधुनिक युग में खेती में रासायनिक खादों का अंधाधुंध प्रयोग हो रहा है। जिससे मृदा की उर्वरकता में कमी आ रही है। मृदा की उर्वरकता को बढ़ाने के लिए मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा द्वारा वर्मी कंपोस्ट इकाई निर्माण की शुरुआत की गई है। इससे मृदा की जैविक और भौतिक स्थिति में सुधार लाया जा सकेगा। इससे मृदा की उर्वरकता एवं पर्यावरण संतुलन बना रहेगा।
रासायनिक उर्वरकों से खेती की बढ़ती हुई लागत को कम करने और पर्यावरण की सुरक्षा के लिए पारंपरिक खेती की ओर किसानों का रुझान बढ़ाने के लिए राज्य सरकार द्वारा जैविक खेती को प्रोत्साहन दिया जा रहा है। जिससे फसलों को उचित पोषण मिलने पर उनकी पूर्ण वृद्धि होगी एवं किसानों की आय में बढ़ोतरी होगी।
कृषि आयुक्त कन्हैयालाल स्वामी ने अनुसार वर्मी कंपोस्ट इकाई लगाने के लिए किसानों को इकाई लागत का 50 प्रतिशत या अधिकतम 50 हजार रुपये का अनुदान दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि वित्तीय वर्ष 2024-25 में 5 हजार वर्मी कंपोस्ट इकाई लगाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
आयुक्त ने बताया कि वर्मी कंपोस्ट इकाई लगाने के लिए किसान के पास एक स्थान पर न्यूनतम कृषि योग्य 0.4 हैक्टेयर भूमि का होना आवश्यक है। कृषक राज किसान साथी पोर्टल या नजदीकी ई- मित्र केंद्र पर जाकर जन आधार के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। इसके लिए कृषक के पास न्यूनतम 6 माह पुरानी जमाबंदी होना आवश्यक है।
आपको बतादें कि जैविक खेती कम खर्च में उत्पादन बढ़ाने का साधन है। जैविक खाद द्वारा मिट्टी के साथ मनुष्य की सेहत भी दुरुस्त रहती है। ऑर्गेनिक फार्मिंग से मिट्टी की संरचना बेहतर रहती है और पर्यावरण को भी लाभ होता है। इससे मिट्टी में जीवाणुओं की संख्या और भूजल स्तर भी कायम रहता है।