राजस्थान हाईकोर्ट ने सोमवार को गलता पीठ और उसकी संपत्तियों को लेकर वर्षें से चल रहे गतिरोध पर ऐतिहासिक फैसला सुनाया। काेर्ट ने सरकार को कहा कि गलता पीठ की मूर्ति और मंदिर की देखरेख के लिए महंत पद पर नियुक्ति करें। वहीं गलता पीठ के महंत पद पर अवधेशाचार्य की नियुक्ति को रद्द कर दिया है। कोर्ट ने गलता की संपत्ति पर मूर्ति का अधिकार मानते हुए ये फैंसला सुनाया है। और सरकार को इसका संरक्षक बताया। दूसरी और सरकार को कहा कि महाकाल मंदिर और अयोध्या के रामजन्मभूमि मंदिर की तर्ज पर गलता तीर्थस्थल का विकास किया जाए।
ये आदेश न्यायाधीश समीर जैन ने स्वर्गीय रामोदराचार्य की पत्नी गायत्री देवी, पुत्र अवधेशाचार्य और सुरेश मिश्रा सहित 7 अन्य याचिकाओं को खारिज करते हुए यह आदेश दिया। मामले में कोर्ट ने 22 फरवरी को ही सुनवाई पूरी कर ली थी। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि गलता पीठ की सम्पत्ति का संरक्षण और देखरेख के लिए सरकार जिम्मेदार है। महंत रामोदराचार्य के अधिकार सीमित थे। कोर्ट ने यह भी कहा कि गलता ठिकाना किसी की जागीर और निजी सम्पत्ति नहीं है।