यह पहला मौका है जब कोई प्रधानमंत्री ने प्रदेश में तीन दिन गुजारे। अपने तीन दिन प्रवास के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने प्रदेश के लिये एक आचार संहिता जारी कि है। अब प्रदेश में मोदी द्वारा जारी की गई आचार संहिता के तहत कार्य होगा। संहिता के अनुसार अब सरकार में पूर्व की तरह कोई भी विधायक क्षेत्रीय मुख्यमंत्री नहीं होगा, विधायक खुद काम करेंगे अपने दायरे और अपने अधिकार के तहत। कलेक्टर और एसपी से लेकर थानेदारों तक की पोस्टिंग में विधायक नहीं करेंगे कोई दखल। क्योंकि अब तक सरकारों में कलेक्टर — एसपी से लेकर पटवारी और अधिकारी से लेकर चपरासी तक की पोस्टिंग होती थी क्षेत्रीय विधायक की सिफारिश पर। ऐसे में प्रधानमंत्री का मानना है कि इन सारे काम में भ्रष्टाचार की भी रहती थी शिकायतें। संकेत यह भी है कि अब गुजरात की तरह राजस्थान में भी डिजायर की रिवाज खत्म हो सकती है। वहीं कोई भी सांसद या विधायक फील्ड में सरकारी अफसरों से नहीं करेगा अपमानजनक और धमकीभरा व्यवहार। भाजपा की मूल शालीन और सभ्य संस्कृति के अनुरूप निर्वाचित जनप्रतिनिधि करेंगे व्यवहार। अचार संहिता के अनुसार अब राजस्थान में नहीं होगा ‘राजनीतिक प्रतिशोध’ वहीं इनकम टैक्स और ED से डरी हुई ब्यूरोक्रेसी को पहुंचाई राहत। प्रधानमंत्री ने कहा ‘मेरी जानकारी में आया है विधायकों का गैर जिम्मेदार रवैया। विधायक बोलते हैं अफसरों और डॉक्टर्स को अपशब्द, सभी विधायक आमजन और सरकारी कर्मचारियों के साथ करें सौम्य व्यवहार। प्रधानमंत्री के ऐसे बचनों से राजस्थान ब्यूरोक्रेसी हुई गदगद। हालांकि उन्होने कहा कि भ्रष्टाचार के मामलों में जीरो टोलरेंस की पॉलिसी जारी रहेगी और भ्रष्टाचार से जुड़ी शिकायतों पर सरकार कठोर और त्वरित कार्रवाई करेगी। ऐसे में गहलोत खेमे के अफसर भी प्रधानमंत्री की इस घोषणा से हुए सकारात्मक। अपनी राजनीतिक निष्ठाओं को छोड़कर अब ब्यूरोक्रेसी का पूरा फोकस रहेगा प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के एजेंडे पर। संहिता के अनुसार पीएमओ स्तर पर भी सरकार के कामकाज की निरंतर होगी रिमोट मॉनिटरिंग। केन्द्रीय योजनाओं की सफल मॉनिटरिंग के लिए रहेगी खास नजर।
ज्ञान के देवताओं का मानना है कि यदि प्रधानमंत्री द्वारा घोषित अचार संहिता को कठौरता से अमल लाया जाता है और प्रशासन के रोजमर्रा के कामों में सांसदों-विधायकों का दखल ना रहा तो नौकरशाही अपेक्षाकृत ज्यादा शक्तिशाली होग। ऐसे में प्रधानमंत्री के उपरोक्त वचनों से पूरी तरह बदल जाएगा राजस्थान की राजनीति और ब्यूरोक्रेसी का पूरा चेहरा और एक नई राजनीतिक और प्रशासनिक संस्कृति आ जाएगी अगले 100 दिनों में।