सतर्क रह कर चलें, इस दौर में, अब हर रिश्ता यहां दग़ाबाज़ है।
कुछ दिनों पहले लालसोट में एक मामा ने अपने भांजे की हत्या कर दी। वज़ह यह थी कि भांजे के मामी से अवैध संबंध थे। भांजे की हत्या के बाद मामा ने भी आत्महत्या कर ली। उसके बाद हत्या में शामिल मामा के भाई ने भी रेल से कट कर आत्महत्या कर ली। एक अवैध संबंध एक ही घर के तीन सदस्यों की मौत का कारण बन गया। उधर मामी भी इस वाकिये के बाद फरार हो गई। यद्यपि कानून ने महिलाओं को किसी से भी यौन संबंध बनाने की छूट दे दी है लेकिन उसने कभी भी यह नहीं सोचा कि ऐसे रिश्ते अनगिनत खून-खराबे को जन्म देंगे। ये जो मामी से अवैध संबंधों के कारण तीन मौतें हुई हैं ये उसी का परिणाम है। यह समाचार राजस्थान के सभी समाचार-पत्रों में छपा है।
एक यथार्थ यह कि हवस की भूख में स्त्री हो या पुरुष हर गुनाह कर गुजरता है। इसके लिए वह हर रिश्ते की हत्या कर रहा है। एक औरत रोटी खाए बगैर रह सकती है लेकिन सेक्स किये बिना नहीं रह सकती। फिर चाहे पति हो, पडौसी हो, प्रेमी हो, आफिस में बास हो या सहकर्मी हो, उम्र में बहुत बड़ा व्यक्ति हो अथवा कोई नाबालिग हो। हवस की भूख लगने पर वह इनमें से किसी से भी संबंध स्थापित करने से नहीं चूकती। भले ही इसके लिए उसे किसी की हत्या ही क्यों न करनी पड़े। वह कर देगी, चाहे उसकी अपनी औलाद ही क्यों न हो। मानें आपकी इच्छा न मानें आपकी इच्छा।
हाल ही में घड़साना में एक बहू ने अवैध संबंधों में बाधक अपनी सास को डिग्गी में डुबो कर मार डाला। हैवानियत की हद यह कि उसने अपनी वृद्ध सास का मुंह पानी में तब तक डुबोए रखा जब तक वह मर नहीं गई। उसका प्रेमी पहले धर्म भाई बना हुआ था। जागरण अख़बार में एक खबर छपी कि लोनी में एक सगी मां अपनी ही नाबालिग़ बेटी को सौतेले पिता से यौनाचार कराने में मदद करती रही। यही नहीं उसने अपने नाबालिग़ बेटे को भी सौतेले पिता से अप्राकृतिक मैथुन का शिकार बनाए रखने में मदद की। आखिर दिल्ली पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया।
अब देखिये हैदराबाद की एक विवाहिता का अजीबो-गरीब किस्सा। स्वाति सुधाकर रेड्डी की धर्मपत्नी थी। उसके राजेश से अवैध संबंध थे। राजेश से अपने रिश्ते क़ायम रखने के लिए उसने अपने पति सुधाकर को एनेस्थिसिया का इंजेक्शन देकर बेहोश किया। उसके बाद गला दबा कर उसकी हत्या कर दी। फिर राजेश की प्लास्टिक सर्जरी करा कर उसे सुधाकर रेड्डी बनवा दिया। लेकिन हैदराबाद पुलिस सच तक पहुंच गई और स्वाति और राजेश को सलाखों में डाल दिया। यह है सेक्स की भूखी औरत की दरिंदगी।
ये जो इस तरह के संबंध हैं, एक बार स्थापित हो जाने के बाद न स्त्री उन्हें छोडती है न ही पुरुष। भले ही जान जाए तो जाए। एक औरत के सिर पर जब हवस का भूत सवार होता है तो वह कुछ भी कर सकती है। कुछ भी। वह हत्या और आत्महत्या की हद तक पहुंच जाती है। कुछ दिनों पहले देहरादून में एक पांच बच्चों की मां बुआ ने अपने ही 16 साल के भतीजे से सेक्स संबंध बना लिए और उससे मां बन गई। देहरादून पोक्सो कोर्ट ने बुआ को 20 साल कठोर कारावास की सजा सुनाई। वह अपने पति से अनबन होने के कारण पीहर में ही रह रही थी। यूपी के हापुड़ में एक बेटी ने अपनी ही मां को भतीजे के साथ आपत्तिजनक अवस्था में देख लिया। बेटी काव्या द्वारा भतीजे अंकित के साथ मां को यूं देख लिये जाने पर सुरेखा ने काव्या की दांतली से हत्या कर दी। हैवान बनी सुरेखा ने काव्या के शरीर पर दांतली से कई वार किये जिससे उसका शरीर कट-फट गया और वह मर गई। सुरेखा यहीं नहीं रुकी, उसने काव्या की मृत देह को चुनरी से बांधा और एक खंडहर में फेंक आई। बाद में पुलिस ने छान-बीन में पता लगा लिया और सुरेखा को गिरफ्तार कर ले गई।
भरतपुर के डीग में सौतेली मां ने की थी बेटे की हत्या। 10 मिनट तक टैंक में डुबाए रखा और बच्चा मर गया। यश की मां रमा ने प्लानिंग के तहत उसकी हत्या कर दी। अपने पति की गैरहाजिरी में वह अन्य पुरुष से संबंध रख रही थी जिसे उसके बच्चे ने देख लिया। बस रमा ने उसे टैंक में डुबो कर मार दिया।
अब आते हैं ऐसा होने के वैज्ञानिक कारणों पर। वैज्ञानिक शोधों के अनुसार 29 से 45 और 48 साल की उम्र में महिलाओं में यौनोत्तेजना तेजी से बढ़ती है। ठीक ऐसे ही 13-14 साल की उम्र चिंगारी जैसी होती है। इस उम्र में लड़कियां जल्दी फिसल जाती हैं। एक बार लौ पकड़ने के बाद वह सब-कुछ कर गुजरने को तैयार रहती हैं। शोधों का कहना है कि कामेच्छा सवार होने के बाद वह खुद पर काबू नहीं रख पाती। ये अथवा इस तरह की घटनाएं इसी का परिणाम है।
समाज में ऐसा-वैसा जो भी घटता है हमारे फिल्म वाले उसे तत्काल पर्दे पर उतार देते हैं। लगभग 50-55 साल पहले एक फिल्म आई थी सावन-भादो। नवीन निश्चल और रेखा की यह पहली फिल्म थी। इसमें भी एक ऐसी ही घटना को पिक्चराइज किया गया था जिसमें एक मां अपने ही बेटे की तब हत्या करने को आमादा हो गई जब जवान बेटे ने मां को अपने प्रेमी के साथ हमबिस्तर होते देख लिया। मां श्यामा थी और बेटा नवीन निश्चल था। अर्थात हमारे समाज में इस किस्म के रिश्ते दशकों से क़ायम हैं लेकिन लोग यूं चौंकते हैं जैसे उन्हें कुछ पता ही नहीं है।
युगों-युगों से यह सच धरती पर कायम है और रहेगा। कोई कुछ नहीं कर सकता। जिस्म की भूख ऐसी ही होती है। चूंकि यह कुदरत प्रदत्त वह सुख है जिससे कोई भी वंचित नहीं रहना चाहता। अमूमन जहां भी पुरुष दौलत के पीछे भाग रहा है वहां उसकी पत्नी देह सुख के लिए इधर-उधर भाग रही है। यह मैने भी देखा है और आप लोगों ने भी देखा होगा। इसका एक मात्र ईलाज है संयम, जो हमारे सात्विक विचार और सात्विक भोजन पर निर्भर है। लेकिन आज न किसी के सात्विक विचार हैं और न ही किसी को सात्विक भोजन पसंद है।