अशोक गहलोत के कुनबे की इज्जत दाव पर, बीजेपी नेताओं ने लुम्बाराम से किया किनारा

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Rajasthan

वैसे तो आगामी 26 अप्रेल को 13 लोकसभाई सीटों पर चुनाव होने जा रहे है। लेकिन सबसे दिलचस्प चुनाव जालोर-सिरोही का है जहां पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साहबजादे वैभव गहलोत अपना भाग्य आजमा रहे है। सामने है बीजेपी के लुम्बाराम चौधरी।

वैभव गहलोत को जिताने के लिए जहां पूरा कुनबा सक्रिय है, लुम्बाराम को पार्टी की ओर से अपेक्षित सहयोग नही मिल रहा है। न नेता सक्रिय है और न ही कार्यकर्ता। जबकि वैभव के लिए उसके पिता अशोक गहलोत, मां सुनीता, पत्नी हिमांशी और पुत्री कश्विनी जितने के लिए जी जान से जुटे हुए है ।

अशोक गहलोत को कांग्रेस पार्टी से कोई मतलब नही है। उनका एक ही मकसद है, अपने पुत्र को लोकसभा में भेजने का। लेकिन वैभव को सफलता मिलेगी, इसमें संदेह है। पिछला लोकसभा चुनाव जोधपुर से शर्मनाक तरीके से हारने के बाद बाप-बेटे जालोर की जनता को मूर्ख बनाने की गरज से यहां चले आए। पूरा कुनबा गिड़गिड़ाते हुए वैभव को जिताने की भीख मांग रहे है। उधर उन्होंने बीजेपी के कुछ नेताओं को भी खरीद लिया है । ऐसे में लुम्बाराम की स्थिति अनाथ जैसी होगई है।

वैभव की जीत में संदेह इसलिए है क्योंकि उनमें कोई राजनीतिक लक्खन नही है। अलावा इस बात के कि वे अशोक गहलोत के बेटे है। न बोलने का सहूर है या राजनीतिक दूरदृष्टि। आरसीए का चुनाव वैभव ने जीता नही, उनके पिता ने छल कपट से जितवाया। उसी छल कपट और अरबो रुपये खर्च करके अशोक गहलोत अपने बेटे को जिताने के लिए जी तोड़ मेहनत कर रहे है।

अशोक गहलोत भलीभांति जानते है कि वैभव हार गया तो उनका राजनीतिक जीवन लगभग समाप्त हो जाएगा। वैसे भी विधानसभा चुनाव के बाद उनके शेयर की रेट 30 फीसदी से भी कम रह गई है। इसी को मद्देनजर रखते हुए गहलोत द्वारा अरबो रुपये पानी की तरह बहाए जा रहे है। कार्यकर्ताओ की लंबी फौज है जो वैभव को जिताने के नाम पर मुर्गे की टँगड़ी तोड़ रही है और बियर के जरिये गर्मी को दूर भगाया जा रहा है।

जालोर की जनता के जेहन में एक ही सवाल है कि यदि वैभव जीत भी गए तो क्षेत्र के काम क्या आएंगे? न उन्हें सलीके से बोलना आता है और उनमें कोई राजनीतिक परिपक्वता है। केंद्र में बीजेपी की सरकार बनना तय है। ऐसे में जीत भी जाते है तो वैभव क्षेत्र के लिए कुछ नही कर पाएंगे। हारे या जीते, वैभव का चुनाव के बाद जालोर से कोई ताल्लुक नही रहेगा। वे रहेंगे जयपुर और जनता इंतजार करेगी जालोर में।

इसके इतर लुम्बाराम के जितने पर क्षेत्रीय विकास होना संभावित है। यह इलाका बहुत पिछड़ा हुआ है। ऐसे में लुम्बाराम की आवाज केंद्र में अवश्य सुनी जाएगी जिसका सीधा फायदा जालोर की जनता को होगा। वैभव की जीत से जालोर की जनता को रत्ती भर लाभ नही होने वाला है। इसलिए क्षेत्रीय लोगो का मानना है कि वैभव की जोधपुर के मुकाबले यहां और भी शर्मनाक पराजय होगी।

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