महेश झालानी
राजस्थान के प्रशासनिक ढांचे को संचालित करने के लिए भजनलाल शर्मा की सरकार अधिकारी भी पड़ोसी राज्यो से आयात करने जा रही है । इसी कड़ी में पहला नाम गुजरात मे अतिरिक्त मुख्य सचिव (वित्त) पद पर तैनात जेपी गुप्ता का है । इन्हें राजस्थान लाने की प्रक्रिया प्रारम्भ होगई है और इसी महीने में मुख्यमंत्री के एसीएस पद पर जॉइन करने की सम्भवना है । हो सकता है कि इन्हें एसीएस (वित्त) का पद दिया जाए ।
जैसा कि ज्ञात होगा कि राजस्थान की नौकरशाही पर नियंत्रण दिल्ली से रहेगा । यानी बड़े पदों पर नियुक्ति और स्थानांतरण पीएमओ स्तर से होगा ताकि नौकरशाही के मोर्चे पर भजनलाल सरकार को मात नही खानी पडे । इसलिए दिल्ली द्वारा ईमानदार और रिजल्ट ऑरिएंट्एड अधिकारियों को महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दिए जाने की मशक्कत की जा रही है । पिछले दो ढाई माह में केवल पांच-छह नियुक्तियां ही हुई है । दिल्ली से सूची तैयार होने के बाद व्यापक स्तर पर हर क्षेत्र में तबादले होंगे । उम्मीद है कि 15 जनवरी के आसपास होने की संभावना है ।
दौसा जिला अंतर्गत राहावास गांव के मूल निवासी जेपी गुप्ता का राजस्थान लगभग तय हो चुका है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुप्ता की प्रतिनियुक्ति की पत्रावली को हरी झंडी दे दी है । गुजरात मे 10 से 12 जनवरी तक “गुजरात वेरीबरेंट” का भव्य स्तर पर आयोजन किया जा रहा है ।
इस समारोह के बाद मल मास की समाप्ति पर जेपी गुप्ता कभी भी जयपुर आ सकते है ।
प्रधानमंत्री के अति विश्वसनीय अधिकारी जेपी गुप्ता को योग्य प्रशासनिक, ईमानदार और त्वरित निर्णय लेने वाले अधिकारी माने जाते है । जोधपुर से एमटेक करने वाले जेपी गुप्ता का जन्म 1 जुलाई, 1965 को एक साधारण खण्डेलवाल परिवार में हुआ है । विद्यार्थी जीवन से ही ये बहुत प्रतिभाशाली छात्र रहे है । वर्तमान मुख्य सचिव सुधांश पन्त और जेपी गुप्ता एक ही बैच (1991) के है ।
दिल्ली ने पहले से मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक और सीएम के प्रमुख सचिव तय कर लिए थे । तभी तो टी.रविकांत को स्थायी तौर पर सीएम का प्रमुख सचिव नियुक्त नही किया गया है । जाहिर है कि टी. रविकांत के स्थान पर जेपी गुप्ता को मुख्यमंत्री का अतिरिक्त मुख्य सचिव तैनात किया जाना सुनिश्चित है । ऐसे में टी.रविकांत को अन्य महत्वपूर्ण जिम्मेदारी मिलने की संभावना है ।
गुजरात के अतिरिक्त मुख्य सचिव जेपी गुप्ता से कल राजस्थान आने को लेकर विस्तार से बात हुई । उन्होंने किसी भी तरह के पत्ते खोलने से इनकार कर दिया । उन्होंने यह भी बताने से मना किया कि वे राजस्थान में किस हैसियत से कार्य करेंगे । उनका कहना था कि ड्यूटी को अंजाम देना उनकी प्राथमिकता है । जो भी निर्देश और जिम्मेदारी मिलेगी, बखूबी निभाउंगा । उन्होंने कहाकि फिलहाल वे गुजरात वाइब्रेंट में व्यस्त है । ऐसे में क्या प्रशासनिक गतिविधियां हो रही है, उन्हें नही पता ।
यह तयशुदा है कि पन्त और गुप्त की जोड़ी निश्चित रूप से राजस्थान की सड़ी-गली, भ्रस्टाचार में डूबी हुई और अलसाई हुई नौकरशाही में नई जान फूंकने का कार्य करेगी । पन्त और गुप्ता में अच्छी बॉन्डिंग है जिसका लाभ प्रदेश की जनता को मिलना सुनिश्चित है । गुप्ता की आर्थिक मामलों में गहरी पकड़ है । ऐसे में प्रदेश में भारी निवेश भी होगा और कर्जे में डूबी सरकार को इससे कुछ हद तक मुक्ति मिलने की संभावना है ।
मोदी अपनी स्टाइल से काम करते है । तभी तो उन्होंने एक ही झटके में पुलिस महानिदेशक उमेश मिश्रा को वीआरएस लेने के लिए बाध्य कर दिया । उत्कल रंजन साहू को भी अभी तक डीजीपी नही नियुक्त किया गया है । इन्हें होमगार्ड डीजी के अलावा डीजीपी का केवल चार्ज दिया गया है । हो सकता है कि प्रदेश में डीजीपी भी कहीं से आयात किया जाए । वैसे इसकी उम्मीद कम है । साहू छह महीने तो गाड़ी खेंच ही सकते है ।
राजस्थान में यह दूसरा अवसर होगा जब किसी आईएएस को आयात करके मुख्यमंत्री का सचिव बनाया जा रहा हो । इससे पहले वसुंधरा के पहले कार्यकाल में सिक्किम कैडर के आईएएस गोविंद मोहन सीएम के सचिव रहे है । दूसरे सचिव होंगे जेपी गुप्ता । कुछ और अधिकारी दिल्ली से आ सकते है ।