देवनानी और जलदाय विभाग

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Jaipur

अजमेर के सभी लीडिंग न्यूज पेपर में 10 जनवरी को यह समाचार प्रकाशित हुआ कि विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने अजमेर की पेयजल समस्या में कोई सुधार नहीं होने पर जलदाय विभाग के अधिकारियों को फटकार लगाई यह कहते हुए कि शहर के अधिकांश क्षेत्रों में अब भी 72 से 96 घंटे के अंतराल से पानी सप्लाई हो रहा है। देवनानी ने जो कहा सच कहा चूंकि हकीकत यही है। 9 जनवरी के दैनिक नवज्योति समाचार पत्र में भी शहर में लडखडाई हुई पेयजलापूर्ति को लेकर खबर प्रकाशित हुई।
लगभग एक महीने पहले श्री देवनानी ने इन अधिकारियों को चेतावनी दी थी कि अगर 15 दिनों में अजमेर की पेयजल अव्यवस्था नहीं सुधरी तो सख्त कार्रवाई होगी। यह समाचार शहर के सभी अखबारों में प्रकाशित हुआ था लेकिन अब पुनः देवनानी को चेतावनी देनी पड़ी है तो क्यों ॽ मतलब कि देवनानी की उस चेतावनी को जलदाय विभाग ने हवा में उडा दिया। 15 दिन छोड एक महीना गुजर गया लेकिन हालात जस के तस हैं। अब भी वे सिर्फ चेतावनी दे रहे हैं। साहब जी, जिनकी आदतें बिगडी हुई हों वे फूंक मारने से नहीं सुधरती। आपकी धमकी का इन अधिकारियों पर कोई असर नहीं हुआ उल्टा इन्होंने 29 दिसम्बर को एक अखबार के माध्यम से अपनी बात छपवा कर आपकी चेतावनी को ठेंगा दिखा दिया। आश्चर्य इसी बात का कि इसी समाचार में जलदाय अधिकारियों की पूरी मिज़ाजपुर्सी की गई। कमाल है, दस दिन पहले यह ख़बर छपी है कि पाइप लाइनें दुरूस्त कर दी गई हैं, अब कहीं कोई पेयजल समस्या नहीं। और अब देवनानी जी कह रहे हैं कि अब भी 48 घंटे की जगह 72 तथा 96 घंटे में सप्लाई हो रही है। ऐसे में कौन झूठ बोल रहा है, जलदाय विभाग, रिपोर्टर या फिर देवनानी। जबकि हकीकत यह है कि शहर में चौथे दिन ही सप्लाई हो रही है।
उक्त ख़बर में लिखा था कि विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी की चेतावनी के बाद जलदाय विभाग ने लीकेज मरम्मत के लिए अभिमान चलाया। विभाग ने दावा किया कि सात दिन में 125 लीकेज दुरूस्त कर दिए गए हैं। इससे पानी का प्रेशर तेज हुआ है। उपभोक्ताओं को अब पानी की सप्लाई को लेकर कोई परेशानी नहीं आ रही है। आश्चर्य, घोर आश्चर्य। सप्लाई सप्ताह में दो बार आती है और इतने कम समय में इन्होंने यह भी जांच लिया कि पूरे शहर में अब किसी को कोई परेशानी नहीं। इस पूरी खबर से एक बात गायब है कि देवनानी ने 48 घंटे के अंतराल में पेयजल वितरण व्यवस्था करने की चेतावनी दी थी लेकिन उस पर कोई वक्तव्य नहीं, बस दूसरी बातें लिख दी जिसका उस चेतावनी से कोई लेना-देना नहीं। तो फिर कल पुनः देवनानी जी को वही बात क्यों दोहरानी पडी। किसी की इतनी भी मिज़ाजपुर्सी अच्छी नहीं कि एक अखबार की छवि का बट्टा बैठ जाए, और इन बातों का ध्यान रखने की जिनकी जिम्मेदारी है उसे भी ध्यान रखना चाहिए कि उसके यहां रिपोर्टर क्या गुल खिला रहे हैं और वो ध्यान नहीं दे रहा तो मालिकों को ध्यान देना चाहिए कि उनके अखबार में हो क्या रहा है।
कमाल है ख़बरनवीस की काबिलियत का। अज़मेर शहर में 80 वार्ड हैं लेकिन यह सप्लाई कहां-कहां सुधरी इसका उल्लेख नहीं किया। पानी की अव्यवस्था को सुधारने की चेतावनी श्री देवनानी ने दी थी लेकिन ख़बर में उनका भी कोई वर्जन नहीं दिया, बस जलदाय अधिकारियों ने जो कहा वह छाप दिया। जबकि यह कायदा है कि किसी भी बडे मुद्दे की ख़बर को छापने पर दोनों के वर्जन प्रकाशित किये जाएं, तब वह ख़बर पूर्ण कहलाती है। लेकिन नहीं एईएन, जेईएन और एक्सईएन का हवाला प्रकाशित कर इतिश्री कर ली।
मजेदार बात देखिये कि यह खबर 29 दिसम्बर के अंक में प्रकाशित हुई थी और कल 10 जनवरी को उसी अखबार में पूर्व प्रकाशित खबर के खिलाफ श्री देवनानी के वर्जन से समाचार प्रकाशित हुआ कि मेरी चेतावनी के बाद भी शहर की पेयजल वितरण व्यवस्था में कोई सुधार नहीं हुआ। मतलब कि इस खबर ने 10 दिन पहले उसी अखबार में छपी ख़बर को फर्जी करार दे दिया। यह शर्मनाक है।
हक़ीक़त यह है कि पांच साल तक जो अधिकारीगण एक ही जगह जमे होते हैं वे अपनी जिम्मेदारियों के प्रति लापरवाह हो जाते हैं। देवनानी जी, आप शहर की पेयजल वितरण व्यवस्था को लेकर सख्त बनें, सिर्फ चेतावनियों से किसी की चाल सीधी नहीं होती। आश्चर्य इस बात का है कि आपने पूरे पांच साल इन अधिकारियों की चालाकियों को बखूबी देखा और जाना और भोगा फिर भी सिर्फ पुनः चेतावनी।
दो साल पहले अजमेर की पत्रकार कालोनी में कुछ घपलेबाजों के कारण जल संकट खड़ा हो गया था। ये ही अधिकारीगण वहां जांच के नाम पर कुछेक बार आए और अपने मुंह लगे कुछ पत्रकारों के साथ कालोनी के बगीचे में बैठ कर चाय पानी पीकर और गप्पें मार कर चले गए। समस्या जस की तस रही। शहर में आज भी 48 घंटे के अंतराल पर नहीं 72 और 96 घंटे के अंतराल पर पानी वितरण हो रहा है और उस पर टाइम का कोई पता नहीं। सप्लाई किसी भी समय कर दी जाती है।
राजस्थान पत्रिका समाचार पत्र में एक विशेषता है कि वहां चालाकी या चालूगीरी करने वाले अपने पत्रकारों के बारे में पता चलते ही मैनेजमेंट द्वारा तत्काल उसे इधर-उधर फेंक दिया जाता है। पहले इस अखबार में कुछ ऐसे चेहरे आए थे जिन्हें बाद में किसी को बाहर निकाल दिया गया तो किसी को सबक़ सिखाने के लिए उसका इधर-उधर ट्रांसफर कर दिया गया। ऐसे-ऐसे लोग भी आए जो कलक्टर को चुटकियों में बुलाने की ताल ठोंकते थे लेकिन मैनेजमेंट ने उनका भी सारा नशा उतार दिया। कभी भास्कर में भी ऐसी स्थितियां हो गई थी तब मैने भोपाल हेड आफिस तक मय प्रमाणों के रिपोर्ट दी जिसका परिणाम यह हुआ कि वहां से मैनेजमेंट इनक्वायरी के लिए यहां आ गए और उन्होंने यहां बहुत-कुछ बदल दिया। इसके बाद वहां से मैनेजमेंट श्री सुधीर अग्रवाल का एक पत्र मुझे मिला जिसमें उन्होंने लिखा था कि आभारी, आप यूं ही हमारा मार्गदर्शन करते रहें।
जहां भी मेनेजमेंट अपनी आंख से अपने कर्मचारियों को नहीं देखता वहां अपने पद का दुरूपयोग करने वाले आबाद रहते हैं। नवज्योति में यह खूब हुआ।राजस्थान पत्रिका को भी पुनः गौर करने की जरूरत है और नवज्योति मेनेजमेंट को भी थोडी निगाह रखने की जरूरत है क्योंकि कई बार बाहरी लोग अखबार को अपने लिए टेम्पलेट के रूप में यूज कर रहे हैं।

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