अशोक शर्मा
पिछले दिनों कोलकाता हाईकोर्ट ने पाक्सो एक्ट के तहत एक फ़ैसला सुनाते हुए कहा कि किशोरियों को अपनी यौन इच्छाओं पर नियंत्रण रखना चाहिए। वे दो मिनट के सुख के लिए समाज की नजरों से गिर जाती हैं। यह टिप्पणी जस्टिस चितरंजन दास और जस्टिस पार्थ सारथी सेन ने एक नाबालिग़ को यौन उत्पीडन के आरोप से बरी करते हुए दी, जबकि उसे जिला अदालत ने दोषी करार दिया था। क्योंकि उसने एक नाबालिग लडकी से यौन संबंध स्थापित कर लिया था। जब कि दोनों में प्रेम संबंध था और लडकी के अनुसार दोनों ने आपसी सहमति से सेक्स किया था। इसके साथ ही अदालत ने कहा कि किशोरों को भी युवतियों की गरिमा और स्वायत्तता का सम्मान करना चाहिए। इसके साथ ही कोर्ट ने अभिभावकों से भी कहा कि वे अपने बच्चों को गुड टच,बेड टच के अलावा अच्छी-बुरी संगत तथा प्रजनन तंत्र के बारे में सही जानकारी और ज्ञान दें। कोर्ट ने बच्चों के संरक्षण अधिनियम पर भी चिंता जताते हुए सुझाव दिया कि अभी लड़के-लड़कियों में यौन संबंध बनाने की उम्र 18 साल है, उसे 16 साल कर दिया जाना चाहिए। क्योंकि 16 साल की उम्र के बाद लड़के-लड़कियों में यौन संबंध बन जाने पर अभी उसे अपराध की श्रेणी में देखा जाता है। यह अब की स्थितियों को देखते हुए ठीक नहीं।
हमारे शास्त्र यह बात बहुत पहले कह चुके हैं कि 16 साल की उम्र में लडकी राजस्वला हो जाती है। अर्थात उसने यौन संबंध स्थापित करने की कुदरती योग्यता हासिल कर ली, महाभारत में वर्णित है कि अभिमन्यु 16 साल की उम्र में वीरगति को प्राप्त हो गया था और उस समय उसकी पत्नी उत्तरा गर्भवती थी जो कि अभिमन्यु से तीन साल छोटी थी, यानि कि मात्र 13 साल की। तो फिर आज लड़कियों के यौन संबंध स्थापित करने के लिए 18 साल की उम्र की बंदिश क्यों ॽ अतः यहां कोलकाता हाईकोर्ट की दलील एकदम सही है। अब एक खास बात ये कि कोर्ट ने सलाह दी है कि किशोरियों को अपनी यौन इच्छाओं पर नियंत्रण रखना चाहिए। यह कैसे संभव है ॽ इस उम्र में कुदरत ने जिस उपहार को उन्हें प्रदान कर दिया, उस पर वे नियंत्रण कैसे करें। यह उम्र वैचारिक रूप से इतनी परिपक्व नहीं होती कि वे इस पर नियंत्रण रख सकें। इस उम्र में लड़के-लड़कियां पाप-पुण्य को भी ठीक से समझ नहीं पाते, ऐसे में वे इस पर नियंत्रण न रख पाने के दुष्प्रभाव को कैसे समझें।
यह सच है कि इसी उम्र में अधिकांशतः लड़के-लड़कियां यौन स्पर्श सुख की अकल्पनीय अनुभूति प्राप्त कर लेते हैं और धीरे-धीरे वे इसमें सहज होते चले जाते हैं। इंडियन नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के ताजा आंकड़े बताते हैं कि 40 प्रतिशत महिलाओं ने माना कि वे 18 साल की उम्र से पहले ही कई बार सेक्स कर चुकी थीं और 24 प्रतिशत लड़कियों ने भी स्वीकार किया कि उन्होंने 15 साल की उम्र से पहले कई इस सुख को प्राप्त कर चुकी हैं। यहां तक कि उन्होंने साफ-साफ कहा कि वे 13 से 14 के बीच की उम्र में ही यौन संबंध बना चुकी थीं। हेल्थ सर्वे ने कहा कि भारत में कच्ची उम्र में सेक्स संबंधों की संख्या तेजी से बढ़ती जा रही है। यहां सबसे अजीबोगरीब स्थिति यह है कि इस मामले में लड़कियों से लडके बहुत पीछे हैं।
एक और सच यह भी है कि आज के दौर में इस उम्र में लड़के-लड़कियों में इस तरह के स्पर्श सुख की इच्छाएं तेजी से बढ़ती जा रही हैं जो समाज के लिए विस्फोटक हालात की दस्तक है, और इसके लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार हम ही हैं। कच्ची और नासमझ उम्र में हम उनके हाथ में मोबाइल पकड़ा देते हैं जिनमें समाचारों के बीच-बीच में अश्लील सामग्री के ढेरों क्लिप्स आते रहते हैं जिन्हें अनजाने में ही देखते हुए बच्चे उसमें इनवाल्व होने लगते हैं। और जब वो ऐसा वैसा कुछ कर लेते हैं तो हम सिर पकड़ कर बैठ जाते हैं कि यह क्या हो गया। यह हकीकत है कि जहां हमें जिम्मेदार होना चाहिए वहां हम हैं ही नहीं। और जब जिम्मेदार नहीं हैं तो उसके परिणाम भोगने ही पड़ेंगे। चूंकि यह सर्व विदित है कि स्त्री-पुरुष के बीच प्रथम स्पर्श के बाद शारीरिक बदलाव आना शुरू हो जाते हैं। आज-कल 15-16 साल के लड़के-लड़कियों में वह शारीरिक बदलाव आ जाते हैं जो विवाहोपरान्त स्त्री-पुरुष में आते हैं, और यह बदलाव उसी का परिणाम है, लेकिन हम ही गौर नहीं करते हैं।