प्रदेश में बाबा के नाम से प्रख्यात किरोड़ी लाल मीना की सियासत हांसिये पर आगई है। भाई जगमोहन मीना की दूसरी हार के परिणम के बाद बाबा भावुक नजर आये। उन्होने ठाई को जीताने के लिये वो सब कार्य किये जो सियासत में जरूरी होते हैं और तो और उन्होने ने अपने गले में भिक्षाम देहि तक का बोर्ड लगा लिया। लेकिन भाई की पार नहीं पड़ पाई।
वहीं उपचुनावों के परिणामों पर प्रदेश प्रभारी राधा मोहन दास अग्रवाल के बयानो के सियासी गलियारों में चचाएं तेज है कि बाबा द्वारा दिया गया इस्तीफा अब मंजूर किया जा सकता है। प्रदेश प्रभारी के खास सूत्रों के अनुसार बाबा ने भाजपा सरकार पर दवाब की सियासत की थी। जो कि प्रदेश के लिये घातक थी।
मीना समाज के बुद्धिजीवी वर्ग में चर्चा जोरों पर है कि समाज में परिवारवाद का अंत हुआ है। अब सियासत में युवा और नये चेहरों को मौका मिलेगा। जिससे समाज में समरूपता आयेगी। परिवारवाद से कई युवा पथभ्रष्ट होगये है। उन्होने अपने जीवन को तबाह कर लिया। स्थानिय स्तर पर अन्य समाजों में आंतक का दूसरा नाम हमारा समाज होगया है। इस कारण क्षेत्र में विकास नहीं हो पा रहा है। क्षेत्र में कल—कारखाने नहीं लग पा रहें। युवाओं को रोजगार के लिये लगातार पलायन करना पड़ रहा। ऐसी सियासत हमारे समाज और नई नस्ल के लिये धातक है।