बगावत की सजा, धारीवाल,जोशी, राठौड़ को नहीं मिलेगा टिकट

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Rajasthan

शांति धारीवाल,महेश जोशी और धर्मेंद्र सिंह राठौड़ को कांग्रेस टिकट नहीं देगी। बताया जा रहा है कि दिल्ली में आज हुई सीईसी की बैठक में इन तीनों के नाम पर क्रॉस लगा दिया गया है। तीनों मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खासमखास और उस बगावत के रचयिता और नेतृत्वकर्ता भी थे,जो 25 सितंबर को कांग्रेस आलाकमान के खिलाफ की गई थी।
उस समय जब सोनिया गांधी ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष और सचिन पायलट को राजस्थान का मुख्यमंत्री बनाने का फैसला करते हुए मल्लिकार्जुन खड़गे और अजय माकन को पर्यवेक्षक बनाकर जयपुर भेजा था। सोनिया गांधी के निर्देशों पर एक लाइन का प्रस्ताव पास कराना था,लेकिन दोनों पर्यवेक्षक मुख्यमंत्री आवास पर विधायकों का बैठक के लिए इंतजार करते रहे और उधर शांति धारीवाल के घर पर इन तीनों ने गहलोत समर्थक विधायकों की अलग से बैठक कर ली और पायलट को मुख्यमंत्री बनाने के प्रयास के विरोध में सामूहिक इस्तीफे ले जाकर विधानसभा अध्यक्ष जोशी को दे दिए।
अब वही खड़गे कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष और अजय माकन कोषाध्यक्ष यानी कांग्रेस के दो मजबूत स्तम्भ है। उस बगावत के बाद से गांधी परिवार भी गहलोत से खफा है, खासतौर पर राहुल और प्रियंका। धारीवाल ने तब मीडिया से बातचीत करते हुए यहां तक कह दिया था,कौन आलाकमान। आज आलाकमान ने अपनी ताकत दिखाते हुए तीनों को टिकट की दौड़ से बाहर कर दिया है। आलाकमान के कोप की आशंका को देखते हुए धारीवाल पहले ही खुद के स्थान पर अपने बेटे को टिकट देने की वकालत कर रहे थे। जबकि महेश जोशी न सिर्फ में सर्वे में कमजोर साबित हुए थे। बल्कि उन पर और उनके बेटे रोहित जोशी पर आपराधिक मुकदमे चल रहे हैं। जबकि धर्मेंद्र राठौड़ पहले कथित रूप से लाल डायरी और उसके बाद आरपीएससी के सदस्य केसर सिंह की नियुक्ति को लेकर और विवाद में आ चुके हैं।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं का मानना था कि अगर इन तीनों में से किसी को भी टिकट दिया गया, तो इससे कांग्रेस के नेतृत्व यानी गांधी परिवार को चुनौती देने वालों के हौंसले और बुलंद होंगे। राजस्थान में सचिन पायलट को राजी रखने के लिए भी इन तीनों का टिकट काटना जरूरी समझा गया, क्योंकि यह तय था कि अगर इनमें से किसी को भी टिकट मिलता तो पायलट खुलकर अपनी नाराजगी जाहिर कर सकते थे। जिस तरह से पायलट पिछले काफी समय से खामोश हैं, उससे यह संकेत मिल ही रहे हैं कि टिकटों को लेकर उन्हें आलाकमान ने आश्वस्त कर ही रखा है।
इनमें से राठौड़ अजमेर उत्तर से टिकट मांग रहे थे और पिछले डेढ़ -द़ो साल से वह अजमेर में जबरदस्त सक्रिय थे। उन्हें टिकट मिलने का इतना भरोसा था कि उन्होंने वार्ड स्तर तक तैयारी कर ली थी। जबकि दूसरे दावेदार एवं पिछले चुनाव के पराजित प्रत्याशी महेंद्र सिंह रलावता को पूरी तरह पायलट पर भरोसा था कि वो उन्हें ही टिकट दिलाएंगे। हालांकि अभी कांग्रेस की सूची सामने नहीं आई है,लेकिन माना जा रहा है कि अगर राठौड़ का टिकट कट गया, तो रलावता को फिर मैदान में उतारा जा सकता है

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