मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने सचिवालय में 16वें वित्त आयोग के प्रतिनिधिमंडल के साथ आयोजित कार्यशाला में कहा कि राज्य को तकरीबन हर वर्ष हीट वेव का सामना करना पड़ता है, जिससे ग्रामीण और शहरी दोनों ही क्षेत्रों के निवासियों की आजीविका प्रभावित होती है। साथ ही, रेगिस्तानी टिड्डियों के कारण फसलों को क्षति पहुंचती है। इसको ध्यान में रखते हुए हीट वेव एवं रेगिस्तानी टिड्डियों के खतरे को प्राकृतिक आपदा माना जाए और इन्हें राष्ट्रीय आपदा मोचन निधि (एनडीआरएफ) में प्राकृतिक आपदा की परिभाषा में शामिल किया जाए। श्री शर्मा ने वित्त आयोग से केन्द्रीय करों के वितरण के लिए ऐसा फार्मूला विकसित करने का अनुरोध किया, जो कि क्षेत्रीय विषमताओं को दूर करने का साधन बने और समाज के सभी क्षेत्रों और वर्गों के लिए महत्वपूर्ण न्यूनतम बुनियादी ढाँचा प्रदान करने के लिए अधिक संसाधन आवंटित करने में सहायक हो। उन्होंने केन्द्रीय कर आय में राज्यों की हिस्सेदारी को अंतिम रूप देते समय, राज्य के क्षेत्रफल को विशेष महत्व दिये जाने का भी आग्रह किया। उन्होंने वित्त आयोग से सड़क एवं पुल, सिंचाई परिसंपत्तियों और वनों के लिए रखरखाव अनुदानों को फिर से शुरू करने का अनुरोध भी किया।
श्री शर्मा ने कहा कि अनियमित और अनिश्चित मानसून प्रदेश की कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था के सामने बड़ी चुनौती है। सीमित एवं निरन्तर घटते हुए जल संसाधनों के कारण राज्य को अत्याधिक कठिनाई का सामना करना पड रहा है। राज्य में सतही जल की कमी के कारण भूजल पर अधिक निर्भरता होने से भूजल का स्तर राज्य के सभी हिस्सों में लगातार गिरता जा रहा है। अतः वित्त आयोग पानी की कमी (वॉटर डेफिसिट) के लिए अनुदान देने पर भी विचार करे।