Secretariat News: प्रदेश की अफसरशाही के बीच मारधाड़, एक आला अफसर दिल्ली जाने के मूड में

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-महेश झालानी

सत्ता के गलियारों में तैर रही खबरों के मुताबिक प्रदेश की अफसरशाही के बीच जबरदस्त शीतयुद्ध चल रहा है । इस शीतयुद्ध के चलते प्रदेश का विकास थमा पड़ा है और प्रशासन में जड़ता आगई है। खबर मिली है कि आपसी गुटबाजी के कारण प्रदेश के एक आला अफसर बेहद व्यथित है। व्यथा और उपेक्षा से दुखी यह अधिकारी वापिस दिल्ली जाने के मूड में है। करीब साल भर पहले ही ये दिल्ली से जयपुर आए थे। दूसरी ओर एक अधिकारी के बढ़ते अतिक्रमण की वजह से शीतयुद्ध में प्रतिदिन इजाफा होता ही जा रहा है।
वैसे तो शीतयुध्द के बहुत कारण है। लेकिन सबसे बड़ा कारण जेडीए में मंजु राजपाल की नियुक्ति को लेकर है। मंजु राजपाल को जेडीए में इसलिए आयुक्त के पद पर तैनात किया गया था ताकि वे पटरी से उतर रहे प्राधिकरण को दुरुस्त कर सके। उन्होंने इस दिशा में काम भी किया, लेकिन कुछ ही दिन में चलता कर उनके स्थान पर आनन्दी को लगा दिया गया।
दूसरे गुट का आरोप है कि मंजु राजपाल ने न तो कभी काम किया है और न ही उनको काम करना आता है। इसके अलावा एक बिल्डर की स्कीम पर बुलडोजर चलवाने को लेकर भी दोनो गुटों के बीच जबरदस्त तनातनी रही है । वर्तमान में जेडीए के अंदर काम कम और भय का माहौल ज्यादा व्याप्त है। खौफजदा अफसर जायज काम करने से भयभीत है।
मंजु राजपाल के अतिरिक्त समित शर्मा की पीएचईडी सेक्रेटरी पद पर नियुक्ति को लेकर खूब घमासान रहा। एक गुट के अफसर की यह मान्यता रही है कि समित शर्मा एक काबिल और ईमानदार अफसर है। इसके इतर दूसरे गुट के अफसर का मानना है कि समित शर्मा को काम आता ही नही। इसके अलावा वे जबरदस्त नौटंकीबाज है। इसी के चलते इन्हें दूसरे गुट ने पीएचईडी और डीआईपीआर से रवाना कर सड़े से महकमे में नियुक्त कर दिया।
इसी प्रकार संदीप वर्मा की नियुक्ति को लेकर भी खूब बवाल मचा। नई सरकार बनने के साथ ही वर्मा को पीडब्ल्यूडी विभाग की जिम्मेदारी सौंपी गई। इनके बारे में भी यह चर्चित है ये काम को लटकाना जानते है, समेटना नही। एक गुट ने इन्हें पीडब्ल्यूडी जैसा महत्वपूर्ण महकमा सौपा तो दूसरे गुट ने इनसे यह विभाग छीनकर राजस्थान राज्य भंडारण निगम में भिजवा दिया। इस निगम के बारे में चर्चित है कि जिस अफसर को बर्फ में लगाना होता है, उसे यहां की जिम्मेदारी सौंप दी जाती है।
बताया जाता है कि अगला नम्बर वैभव गैलेरिया का है। ये काबिल अफसर तो है, लेकिन दोनों नावों में सवारी करने की वजह से इनसे यूडीएच छीनकर सामाजिक अधिकारिता या प्रशासनिक विभाग की जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है। दोनो गुटों के बीच चरम पर युद्ध चल रहा है। बावजूद इसके सीएम पूरे मामले से अनभिज्ञ है। शीतयुद्ध के चलते कई पदस्थापन और पुलिस विभाग के तबादले रुके हुए है। उम्मीद की जा रही है नए साल में कुछ बड़े बदलाव किए जा सकते है। एसीएस अखिल अरोड़ा, आनन्द कुमार और अपर्णा अरोड़ा को नई जिम्मेदारी सौपने की चर्चा है।

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