मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने कहा कि शिक्षक राष्ट्र निर्माता हैं, वे नव पीढ़ी में चरित्र-निर्माण की मजबूत नींव डाल कर सक्षम नागरिक रूपी भवन का निर्माण कर रहे हैं। उनकी शिक्षा-ज्ञान से ही मनुष्य विचारशील और करुणा व सहानुभूति के भाव से समृद्ध होता है और एक प्रगतिशील व समावेशी समाज बनाता है।
श्री शर्मा गुरूवार को बिड़ला सभागार में आयोजित राज्य स्तरीय शिक्षक सम्मान समारोह को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि हमारी भारतीय परंपरा में गुरु का स्थान सर्वाेपरि रहा है। शिक्षक प्रतिबद्धता और परिश्रम से शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाते हैं और समर्पण एवं निष्ठा से विद्यार्थियों के जीवन को समृद्ध बनाते हैं। इसलिए विद्यालय केवल अच्छे भवन, महंगे उपकरण या सुविधाओं से नहीं बल्कि शिक्षकों के अमूल्य ज्ञान से बनता है।
गुरु बिन सब सून-
समारोह में मुख्यमंत्री अपने शिक्षक श्री शंकरलाल शर्मा को देखकर भावुक हो गए। वे मंच से उतरे, गुरु के चरण स्पर्श किए, उन्हें अपने निकट बैठाया और स्मृति चिन्ह भेंट कर उनका अभिनन्दन किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि शिक्षक अपने शिष्यों की सफलता के लिए अथक परिश्रम करते हैं। वे एक कुम्हार की तरह होते हैं जो मिट्टी को अपने अनुभव से गूंथता है और एक सुंदर प्रतिमा बनाता है। उनके समर्पण का कोई मोल नहीं है। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने अपने बाल्यकाल में शिक्षा प्राप्त करने के अनुभव भी मंच से साझा किए।
हमारे शिक्षक विकसित राजस्थान के निर्माणकर्ता-
श्री शर्मा ने कहा कि प्रदेश के शिक्षक अन्य राज्यों की तुलना में ज्यादा प्रतिभाशाली हैं। उनमें प्रदेश के शिक्षा के ढांचे को और उन्नत करने की क्षमता है। उन्होंने कहा कि शिक्षकों के योगदान से प्रदेश शिक्षा के क्षेत्र में शीघ्र ही सिरमौर बनेगा। मुख्यमंत्री ने आश्वस्त किया कि जहां भी आवश्यकता होगी वहां विद्यालयों का क्रमोन्नयन होगा और नए विषय भी प्रारंभ होंगे।